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सुप्रीम कोर्ट के CJI पर जूता फेंकने का प्रयास, वकील का लाइसेंस निलंबित

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की कोशिश की, जिसके बाद उसका लाइसेंस निलंबित कर दिया गया। यह घटना खजुराहो मूर्ति पुनर्स्थापना मामले के दौरान हुई, जब वकील CJI की टिप्पणियों से नाराज था। जानें इस मामले में आगे क्या कार्रवाई की जाएगी और CJI ने क्या कहा था।
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सुप्रीम कोर्ट के CJI पर जूता फेंकने का प्रयास, वकील का लाइसेंस निलंबित

सुप्रीम कोर्ट में अजीब घटना

सुप्रीम कोर्ट के CJI पर हमले का प्रयास: सोमवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट में एक अजीब घटना घटी, जब एक व्यक्ति ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की। हालांकि, जूता CJI पर नहीं गिरा, बल्कि जस्टिस विनोद चंद्रन के पास जा गिरा। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने उस व्यक्ति को तुरंत हिरासत में ले लिया। बताया जा रहा है कि जूता फेंकने वाला व्यक्ति एक वकील है, जो खजुराहो मूर्ति मामले की सुनवाई के दौरान CJI द्वारा की गई 'भगवान विष्णु से प्रार्थना करें' टिप्पणी से नाराज था। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस वकील के लाइसेंस को तुरंत निलंबित कर दिया है।


वास्तव में, 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने खजुराहो विष्णु मूर्ति पुनर्स्थापना मामले में CJI गवई की टिप्पणियों से नाराज होकर यह कदम उठाया। जूता फेंकने के बाद सुरक्षाकर्मियों ने राकेश किशोर को हिरासत में लिया। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए वकील के लाइसेंस को निलंबित कर दिया है।


वकील को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा

कारण बताओ नोटिस की प्रक्रिया: काउंसिल ने बताया कि ऐसे अशोभनीय व्यवहार करने वाले वकील को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। इसमें वकील को आदेश प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर जवाब देना होगा, जिसमें यह बताना होगा कि निलंबन क्यों जारी नहीं रखा जाना चाहिए और आगे की कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। किशोर को आगे की अनुशासनात्मक कार्रवाई तक देश भर में किसी भी अदालत, न्यायाधिकरण या कानूनी प्राधिकरण में वकालत करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।


CJI की टिप्पणी पर विवाद

CJI ने क्या कहा था? खजुराहो विष्णु मूर्ति पुनर्स्थापना मामले में CJI गवई ने कहा था कि खजुराहो में शिव का एक बड़ा लिंग है और यदि याचिकाकर्ता शैव धर्म के खिलाफ नहीं हैं, तो वे वहां जाकर पूजा कर सकते हैं। उन्होंने याचिका को प्रचार हित याचिका बताते हुए भगवान से प्रार्थना करने का सुझाव दिया था। उनकी इस टिप्पणी पर सोशल मीडिया पर काफी विवाद हुआ था, जिसके बाद उन्होंने कहा था कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।