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सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर्वतमाला पर अपने आदेश पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर्वतमाला पर खनन के आदेश पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में अदालत ने विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को स्थगित कर दिया। इसके साथ ही, एक नई विशेषज्ञ समिति के गठन का आदेश दिया गया है, जो मौजूदा रिपोर्ट का विश्लेषण करेगी। जानें इस महत्वपूर्ण मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे और अदालत की क्या राय है।
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सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर्वतमाला पर अपने आदेश पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश


सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर को 100 मीटर से छोटी पहाड़ियों पर खनन के आदेश पर रोक लगाई
अरावली पर्वतमाला से संबंधित मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर को दिए गए अपने ही आदेश पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और एजी मसीह की वैकेशन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। सीजेआई सूर्यकांत ने निर्देश दिया कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें और उन पर की गई टिप्पणियां फिलहाल स्थगित रहेंगी।


अदालत ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई तक इन सिफारिशों को लागू नहीं किया जाएगा। इनमें से एक सिफारिश में कहा गया है कि केवल 100 मीटर से ऊंची पहाड़ियों को ही अरावली पर्वतमाला माना जाए। पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर को 100 मीटर से छोटी पहाड़ियों पर खनन की अनुमति दी थी, लेकिन अब 21 जनवरी 2026 तक खनन पर रोक लगा दी गई है।


विशेषज्ञ समिति का गठन

मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस मामले की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई जाए। यह समिति मौजूदा विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का विश्लेषण करेगी और संबंधित मुद्दों पर कोर्ट को सुझाव देगी। कोर्ट ने केंद्र और अरावली के चार राज्यों (राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और हरियाणा) को भी नोटिस जारी कर इस मुद्दे पर जवाब मांगा है।


गलतफहमियों को दूर करने की आवश्यकता

कुछ टिप्पणियों को लेकर गलत अर्थ निकाले जा रहे हैं
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि इस मामले में अदालत के आदेशों, सरकार की भूमिका और पूरी प्रक्रिया को लेकर कई तरह की गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं। इन्हीं भ्रमों को दूर करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे अदालत ने स्वीकार भी किया था। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि अदालत की भी यही भावना है कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट और उसके आधार पर अदालत द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को लेकर गलत अर्थ निकाले जा रहे हैं।


विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का विश्लेषण

मौजूदा विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का विश्लेषण करने के दिए निर्देश
सीजेआई ने कहा कि अदालत पहले ही यह संकेत दे चुकी है कि इन सवालों पर गहराई से विचार आवश्यक है। इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्ताव रखा है कि एक्सपर्ट्स की एक हाई पावर्ड कमेटी गठित की जाए। यह कमेटी मौजूदा विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का विश्लेषण करे और इन मुद्दों पर स्पष्ट सुझाव दे।