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सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स खनन मामले में सुनवाई की, अगली तारीख 21 जनवरी 2026

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स में खनन से संबंधित मामले में सुनवाई की और 20 नवंबर के आदेश को अगली सुनवाई तक लागू नहीं करने का निर्णय लिया। कोर्ट ने विशेषज्ञ समिति के गठन की बात की है, जो खनन के पर्यावरणीय प्रभावों की समीक्षा करेगी। अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी, जहां सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। जानें इस मामले में कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णय और आगे की प्रक्रिया के बारे में।
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सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स खनन मामले में सुनवाई की, अगली तारीख 21 जनवरी 2026

अरावली हिल्स खनन मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स में खनन से संबंधित मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए आज सुनवाई की। कोर्ट ने अरावली रेंज की परिभाषा को लेकर गंभीर चिंताओं का इजहार किया है और केंद्र सरकार से कई तकनीकी सवाल पूछे हैं। कोर्ट ने कहा कि 20 नवंबर के आदेश को लागू करने से पहले एक निष्पक्ष और स्वतंत्र समीक्षा आवश्यक है। इसके लिए एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा, जो खनन के पर्यावरणीय प्रभाव, परिभाषा की सीमाओं और संरक्षण की निरंतरता जैसे मुद्दों की जांच करेगी। अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अरावली पहाड़ियों से संबंधित 20 नवंबर का आदेश अगली सुनवाई तक लागू नहीं होगा। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 21 जनवरी 2026 निर्धारित की है। तब तक स्थिति यथावत रहेगी और सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट की कुछ टिप्पणियों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है, जिस पर स्पष्टता आवश्यक है। CJI ने कहा कि 20 नवंबर के आदेश को लागू करने से पहले एक ठोस और निष्पक्ष रिपोर्ट अनिवार्य है। उन्होंने अरावली पहाड़ियों और रेंज की परिभाषा, 500 मीटर से अधिक दूरी की स्थिति, खनन पर रोक या अनुमति और इसके दायरे को लेकर गंभीर अस्पष्टताओं को सुलझाने की आवश्यकता बताई।

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुद्दे को समग्र दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है और कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को स्वीकार किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विशेषज्ञों द्वारा एक ठोस खनन योजना तैयार की जाएगी, जिसे कोर्ट की मंजूरी के बाद ही लागू किया जाएगा। इस प्रक्रिया में जनता की राय भी ली जाएगी। CJI ने इस पहल की सराहना की।