सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सुनवाई की तारीख तय की

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की तारीख
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से संबंधित भारतीय चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए कदमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चार नवंबर को सुनवाई करने का निर्णय लिया। याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया कि चुनाव आयोग को हटाए गए और जोड़े गए मतदाताओं की सूची को अलग से प्रकाशित करना चाहिए। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि चुनाव आयोग हाल ही में संपन्न एसआईआर के परिणामों के आधार पर मतदाता डेटा का खुलासा करने की जिम्मेदारी से अवगत है।
सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वे अपने जिला स्तर के निकायों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहें कि बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद अंतिम मतदाता सूची से बाहर किए गए व्यक्तियों को भारत के चुनाव आयोग के समक्ष अपील दायर करने में सहायता प्रदान की जाए। बीएसएलएसए के न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए कि अंतिम मतदाता सूची से बाहर किए गए व्यक्तियों को मुफ्त कानूनी सहायता मिले। पीठ ने यह आदेश इस आधार पर पारित किया कि कुछ व्यक्तियों द्वारा शीर्ष अदालत में प्रस्तुत हलफनामों में विसंगतियां थीं, जिन्होंने दावा किया था कि उन्हें गलत तरीके से बाहर रखा गया था। ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने एक विशेष व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत हलफनामे की सामग्री की सत्यता पर सवाल उठाया। उन्होंने याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा उठाए गए एक उदाहरण का उल्लेख किया, जिसमें एक व्यक्ति का नाम ड्राफ्ट सूची में था, लेकिन उसे अंतिम सूची से हटा दिया गया था। द्विवेदी ने कहा कि वह व्यक्ति ड्राफ्ट सूची में नहीं था क्योंकि उसने गणना फॉर्म जमा नहीं किया था और यह कि एक गलत हलफनामा दायर किया गया था, जो झूठी गवाही के समान है। उन्होंने यह भी कहा कि बाहर किए गए लोग अपील दायर कर सकते हैं, क्योंकि उनके पास अभी भी पांच दिनों का समय है।