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सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री कुंवर विजय शाह को दी कड़ी फटकार, मांगी माफी

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मंत्री कुंवर विजय शाह को कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ उनकी विवादास्पद टिप्पणी के लिए कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने शाह से सार्वजनिक माफी की मांग की, जिसे उन्होंने पूरी नहीं किया। इस मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है और अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और अदालत के सख्त रुख के बारे में।
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सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री कुंवर विजय शाह को दी कड़ी फटकार, मांगी माफी

कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी

Colonel Sofiya Qureshi: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कुंवर विजय शाह को कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ उनकी विवादास्पद टिप्पणी के लिए सार्वजनिक माफी मांगने में विफल रहने पर कड़ी फटकार लगाई. कर्नल कुरैशी ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर पर मीडिया को जानकारी दी थी, जिसके बाद शाह की टिप्पणी ने विवाद खड़ा कर दिया. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने शाह के वकील से अदालत के पूर्व निर्देश के अनुपालन के बारे में पूछा, जिसमें सार्वजनिक माफी की मांग की गई थी.


वकील ने दावा किया कि शाह ने ऑनलाइन माफी मांगी थी. हालांकि, न्यायमूर्ति कांत ने इसे अपर्याप्त बताते हुए कहा, "इस तरह की माफ़ी से आपका क्या मतलब है? यह व्यक्ति हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहा है. यह वही बयान है जो उसने पहली मुलाक़ात में दिया था. यह तथाकथित ऑनलाइन माफ़ीनामा उनकी मंशा को दर्शाता है, और यह उनकी ईमानदारी पर संदेह पैदा करता है." अदालत ने शाह की टिप्पणियों की जांच की प्रगति पर भी सवाल उठाए. विशेष जांच दल (एसआईटी) के एक सदस्य ने बताया कि जांच 13 अगस्त को समाप्त हो रही 90 दिनों की वैधानिक अवधि के भीतर पूरी हो जाएगी. उन्होंने सूचित किया कि 27 व्यक्तियों के बयान दर्ज किए गए हैं और कई वीडियो क्लिप की समीक्षा की जा रही है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 18 अगस्त को होगी.


सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख: गिरफ्तारी पर रोक, एसआईटी का गठन


इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने शाह की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से कार्यवाही अपने हाथ में ले ली थी. हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले में कार्रवाई शुरू की थी. शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश के बाहर के तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों, जिसमें कम से कम एक महिला अधिकारी शामिल हो, की एक एसआईटी गठन करने का निर्देश दिया था. अदालत ने शाह की टिप्पणियों को "गंदी, अशिष्ट और शर्मनाक" करार देते हुए उनकी माफी को कपटपूर्ण ठहराया था. पिछली सुनवाई में न्यायमूर्ति कांत ने कड़े शब्दों में कहा था, "देश आपसे शर्मिंदा है. आपको ही इससे मुक्ति चाहिए."


विवाद की शुरुआत: वायरल वीडियो और हाई कोर्ट की कार्रवाई


यह विवाद तब शुरू हुआ जब शाह के भाषण का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. शाह ने बाद में दावा किया कि उनकी टिप्पणियों को संदर्भ से बाहर पेश किया गया और उनका उद्देश्य कर्नल कुरैशी के साहस की प्रशंसा करना था. हालांकि, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 14 मई को स्वतः संज्ञान लेते हुए पुलिस को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया. हाई कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि यदि 14 मई की शाम तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई, तो राज्य के डीजीपी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू हो सकती है. 15 मई को, हाई कोर्ट ने प्राथमिकी को "घोर छल" करार देते हुए इसकी कड़ी आलोचना की और कहा कि वह जांच में हस्तक्षेप किए बिना मामले की निगरानी जारी रखेगा. इसके बाद मामले की सुनवाई जून में निर्धारित की गई थी.