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सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के माध्यम से टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग पर उठाया गंभीर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के माध्यम से टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों पर गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार से 3 नवंबर तक जवाब मांगा है, जिसमें यह पूछा गया है कि इनएक्टिव दलों के पंजीकरण और नियमन के लिए ठोस कानून क्यों नहीं बनाए गए। याचिका में 500 करोड़ के फर्जी चंदे का मामला भी उठाया गया है। जानें इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है और राजनीतिक दलों की स्थिति क्या है।
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सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के माध्यम से टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग पर उठाया गंभीर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र से मांगा जवाब


सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों द्वारा टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों पर सुनवाई की। इस दौरान, कोर्ट ने इन मुद्दों को गंभीर बताया और कहा कि इनएक्टिव राजनीतिक दलों के माध्यम से यह समस्या और भी बढ़ जाती है। यह लोकतंत्र और चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने विधि आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 3 नवंबर तक जवाब मांगा है, जिसमें पूछा गया है कि राजनीतिक दलों के पंजीकरण और नियमन के लिए ठोस कानून क्यों नहीं बनाए गए।


500 करोड़ के फर्जी लेनदेन का मामला

एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने जनहित याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि आयकर विभाग की छापेमारी में इंडियन सोशल पार्टी और युवा भारत आत्म निर्भर दल के माध्यम से 500 करोड़ के फर्जी चंदे का मामला सामने आया। इसके अलावा, नेशनल सर्व समाज पार्टी के जरिए 271 करोड़ का लेन-देन भी पकड़ा गया। आरोप है कि ये दल हवाला और कमीशनखोरी के लिए बनाए गए थे, और इनका चुनाव से कोई संबंध नहीं है।


चुनाव आयोग को स्पष्ट नियम बनाने के निर्देश देने की मांग

याचिका में यह भी मांग की गई है कि चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों के पंजीकरण और कार्यप्रणाली के लिए स्पष्ट नियम बनाने के निर्देश दिए जाएं। लगभग 90% दल कभी चुनाव नहीं लड़ते और 20% तक कमीशन वसूलकर टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त हैं। कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि आंतरिक लोकतंत्र और फंडिंग की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।


देश में 2,800 से अधिक राजनीतिक दल, केवल 690 ने चुनाव लड़ा

भारत में 6 राष्ट्रीय और 67 क्षेत्रीय दल हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव के समय, 2,800 से अधिक रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल थे, जिनमें से केवल 690 ने चुनाव लड़ा। इसका मतलब है कि अधिकांश दल चुनावी राजनीति में सक्रिय नहीं हैं।


334 दलों को डीलिस्ट कर चुका चुनाव आयोग

चुनाव आयोग ने इस साल अगस्त तक 334 ऐसे दलों को डीलिस्ट कर दिया है। अब भी 2,520 रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल बचे हुए हैं। 2011 में पूर्व मुख्य न्यायाधीश एमएन वेंकटचलैया की अध्यक्षता में एक समिति ने राजनीतिक दलों के नियमन के लिए एक बिल का ड्राफ्ट तैयार किया था, लेकिन यह आगे नहीं बढ़ पाया।