सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून में महत्वपूर्ण बदलावों पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ संशोधन कानून से संबंधित याचिकाओं पर महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। अदालत ने इस कानून पर रोक लगाने से इनकार किया है, जैसा कि याचिकाओं में मांगा गया था, लेकिन इसके तीन महत्वपूर्ण संशोधनों पर रोक लगा दी है। अदालत ने कहा है कि अंतिम निर्णय आने तक इन संशोधनों पर रोक जारी रहेगी, जिसमें गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान भी शामिल है। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 20 से 22 मई तक इस मामले की सुनवाई की थी और निर्णय सुरक्षित रखा था।
सोमवार, 15 सितंबर को निर्णय की घोषणा करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने तीन महत्वपूर्ण संशोधनों पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि केंद्रीय वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या चार और राज्यों के वक्फ बोर्ड में तीन से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सरकारें यह सुनिश्चित करें कि बोर्ड में नियुक्त सरकारी सदस्य भी मुस्लिम समुदाय से हों। इस मामले में कई याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें से अदालत ने पांच पर सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की भागीदारी के प्रावधान पर रोक नहीं लगाई, लेकिन इसकी सीमा निर्धारित कर दी। अदालत ने कहा कि केंद्रीय वक्फ बोर्ड के 20 सदस्यों में से अधिकतम चार और राज्य वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में से अधिकतम तीन गैर-मुस्लिम हो सकते हैं। पहले इस मामले में कोई अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं थी। राज्य वक्फ बोर्ड में सीईओ की नियुक्ति के संबंध में बदलाव को बरकरार रखते हुए अदालत ने सुझाव दिया कि जहां तक संभव हो, सीईओ मुस्लिम समुदाय से ही नियुक्त किया जाए। यह ध्यान देने योग्य है कि सीईओ बोर्ड का सचिव भी होता है।
सर्वोच्च अदालत ने एक और महत्वपूर्ण संशोधन पर रोक लगाई है। कानून में यह प्रावधान था कि किसी व्यक्ति के वक्फ बनाने के लिए उसे पिछले पांच वर्षों से मुसलमान होना अनिवार्य है। अदालत ने इस पर रोक लगाते हुए कहा कि जब तक राज्य सरकारें यह तय करने के लिए नियम नहीं बनातीं कि कोई व्यक्ति वास्तव में मुसलमान है या नहीं, तब तक यह प्रावधान लागू नहीं हो सकता, क्योंकि बिना नियम के यह मनमाने ढंग से लागू किया जा सकता है। इसी प्रकार, सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी अधिकारियों को वक्फ संपत्तियों की स्थिति निर्धारित करने का अधिकार देने वाले प्रावधान पर भी रोक लगा दी है।
इस प्रावधान में कहा गया था कि किसी संपत्ति को वक्फ तभी माना जाएगा, जब सरकारी अधिकारी की रिपोर्ट में अतिक्रमण न होने की पुष्टि हो। इसी से संबंधित कुछ अन्य धाराओं पर भी अदालत ने रोक लगाई है, जैसे धारा 3सी(3), जिसमें अधिकारी को संपत्ति को सरकारी जमीन घोषित करने और राजस्व अभिलेख बदलने का अधिकार था, उसे भी रोक दिया गया। धारा 3सी(4), जिसके तहत राज्य सरकार वक्फ बोर्ड को अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर रिकॉर्ड सुधारने का आदेश देती, उस पर भी रोक लग गई। अदालत ने कहा कि कलेक्टर को नागरिकों के अधिकार तय करने का अधिकार देना शक्तियों के बंटवारे के सिद्धांत के खिलाफ है, क्योंकि कार्यपालिका को यह अधिकार नहीं दिया जा सकता। वक्फ के रजिस्ट्रेशन वाले प्रावधान को अदालत ने रहने दिया है।