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सुप्रीम कोर्ट ने सैन्य प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांग हुए कैडेटों की स्थिति पर उठाया सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने सैन्य प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांगता का सामना करने वाले कैडेटों की स्थिति पर गंभीरता दिखाई है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने केंद्र सरकार और तीनों सेनाओं को नोटिस जारी किया है। रिपोर्ट के अनुसार, 1985 से अब तक 500 से अधिक कैडेटों को प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांगता के कारण बाहर किया गया है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या इन कैडेटों के लिए कोई बीमा पॉलिसी है और क्या उन्हें सेना में अन्य पदों पर नियुक्त किया जा सकता है। अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी।
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सुप्रीम कोर्ट ने सैन्य प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांग हुए कैडेटों की स्थिति पर उठाया सवाल

सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख

नई दिल्ली - सैन्य प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांगता का सामना करने वाले कैडेटों की स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता दिखाई है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार के साथ-साथ वायुसेना, थल सेना और नौसेना के प्रमुखों को नोटिस जारी किया है। नियमों के अनुसार, कमीशन से पहले दिव्यांग होने वाले कैडेट्स पूर्व सैनिकों को मिलने वाली सुविधाओं के लिए पात्र नहीं होते हैं।


सुप्रीम कोर्ट ने यह कदम एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर उठाया है, जिसमें बताया गया कि 1985 से अब तक लगभग 500 अधिकारी कैडेटों को प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न प्रकार की दिव्यांगताओं के कारण मेडिकल आधार पर संस्थानों से बाहर किया गया है। ये कैडेट कभी एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी) और आईएमए (इंडियन मिलिट्री एकेडमी) जैसे प्रतिष्ठित सैन्य संस्थानों में प्रशिक्षण ले रहे थे। सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्ना ने पूछा कि क्या ट्रेनी कैडेट्स के लिए कोई बीमा पॉलिसी उपलब्ध है? उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि बहादुर लोग सेना में शामिल हों, लेकिन यदि उन्हें आर्थिक लाभ नहीं मिलेगा, तो यह उनके मनोबल को प्रभावित करेगा।


इसके अलावा, बेंच ने सरकार से यह भी पूछा कि क्या दिव्यांग हुए कैडेट्स को सेना में किसी अन्य पद पर नियुक्त करने की संभावना पर विचार किया जा सकता है। इस मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी। नियमों के अनुसार, दिव्यांग कैडेट्स पूर्व सैनिक (ईएसएम) का दर्जा प्राप्त करने के हकदार नहीं होते, जिसके कारण वे पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) के तहत मिलने वाली सैन्य सुविधाओं और सूचीबद्ध अस्पतालों में मुफ्त इलाज के लिए भी पात्र नहीं होते। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे अधिकारी के रूप में कमीशन प्राप्त करने से पहले ही प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांग हो चुके थे।