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सुप्रीम कोर्ट बिहार मतदाता सूची संशोधन पर याचिकाओं की सुनवाई करेगा

सुप्रीम कोर्ट बिहार में मतदाता सूची के संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 28 जुलाई को सुनवाई करेगा। चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आवश्यक बताया है, जबकि कुछ राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं। जानें इस मामले में क्या कहा गया है और इसके संभावित प्रभाव क्या हो सकते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट बिहार मतदाता सूची संशोधन पर याचिकाओं की सुनवाई करेगा

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की तारीख

सुप्रीम कोर्ट बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से संबंधित याचिकाओं पर 28 जुलाई को सुनवाई करेगा। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।


चुनाव आयोग का पक्ष

चुनाव आयोग ने 24 जून को लिए गए अपने निर्णय का समर्थन करते हुए कहा है कि एसआईआर से वोटर लिस्ट से अयोग्य व्यक्तियों को हटाने में मदद मिलेगी, जिससे चुनाव की पारदर्शिता बढ़ेगी। आयोग ने यह भी बताया कि सभी प्रमुख राजनीतिक दल इस प्रक्रिया में शामिल थे और 1.5 लाख से अधिक बूथ-स्तरीय एजेंटों को तैनात किया गया था। हालांकि, कुछ दल इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं।


मतदान का अधिकार

चुनाव आयोग ने एक हलफनामे में यह स्पष्ट किया है कि मतदान का अधिकार जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951 के तहत निर्धारित योग्यताओं पर निर्भर करता है। आयोग का कहना है कि अयोग्य व्यक्ति को मतदान का अधिकार नहीं है, इसलिए वह इस संबंध में अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लंघन नहीं कर सकता।


एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स का बयान

मुख्य याचिकाकर्ता, गैर सरकारी संगठन 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' ने एक प्रत्युत्तर हलफनामे में कहा है कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों को अत्यधिक विवेकाधिकार दिया गया है, जिससे बिहार की बड़ी आबादी मताधिकार से वंचित हो सकती है। एनजीओ ने चेतावनी दी है कि यदि 24 जून का आदेश रद्द नहीं किया गया, तो यह लाखों नागरिकों को अपने प्रतिनिधियों को चुनने के अधिकार से वंचित कर सकता है, जो लोकतंत्र के लिए हानिकारक है।