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सुप्रीम कोर्ट में SIR मामले की सुनवाई: जीवित नागरिकों को मृत घोषित करने का मामला

सुप्रीम कोर्ट में SIR मामले की सुनवाई के दौरान, योगेंद्र यादव ने दो जीवित नागरिकों को मृत घोषित करने का मामला उठाया। यह मामला चुनावी प्रक्रिया में गंभीर खामियों को उजागर करता है। चुनाव आयोग ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी, जबकि अदालत ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुद्धता पर जोर दिया। जानें इस महत्वपूर्ण सुनवाई के बारे में और क्या निर्देश दिए गए।
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सुप्रीम कोर्ट में SIR मामले की सुनवाई: जीवित नागरिकों को मृत घोषित करने का मामला

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का असाधारण दृश्य

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को SIR (Systematic Investigation of Roll) मामले की सुनवाई के दौरान एक अनोखा दृश्य देखने को मिला। जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने अदालत में दो ऐसे नागरिकों को पेश किया, जिन्हें चुनाव आयोग ने 'मृत' घोषित कर दिया है।


योगेंद्र यादव ने अदालत को बताया कि ये दोनों व्यक्ति जीवित हैं, फिर भी उन्हें मतदाता सूची से हटा दिया गया है, जो चुनावी प्रक्रिया में एक गंभीर समस्या को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल इन दो व्यक्तियों का नहीं है, बल्कि हजारों ऐसे मामलों का प्रतिनिधित्व करता है, जहां जीवित नागरिकों को मृत बताकर उनके मतदान अधिकारों का हनन किया जा रहा है।


हालांकि, चुनाव आयोग (ECI) ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। आयोग के एक प्रतिनिधि ने अदालत में कहा, "यह नाटक बंद करें। अगर किसी को समस्या है, तो वह हमारे पोर्टल या हेल्पलाइन पर शिकायत करें, न कि अदालत में। हम सहायता के लिए तैयार हैं, लेकिन इस तरह की प्रस्तुतियों से सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।"


इस पर अदालत ने संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुद्धता सबसे महत्वपूर्ण है और यदि ऐसी शिकायतें आ रही हैं, तो उन्हें गंभीरता से लेना आवश्यक है। अगली सुनवाई की तारीख तय करते हुए अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह इन मामलों की जांच करे और योगेंद्र यादव से पूरी जानकारी प्राप्त करे ताकि वास्तविकता का पता लगाया जा सके।