सुप्रीम कोर्ट में एयर इंडिया फ्लाइट AI171 दुर्घटना की स्वतंत्र जांच की मांग पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
Air India Flight Crash: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के लिए सहमति दी है, जिसमें एयर इंडिया फ्लाइट AI171 की दुर्घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की गई है। इस हादसे में 260 लोगों की जान गई थी। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और संबंधित प्राधिकरणों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिका का विवरण
यह याचिका NGO सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन द्वारा दायर की गई है, जिसमें नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। याचिकाकर्ता का आरोप है कि रिपोर्ट में महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाया गया है और जांच प्रक्रिया एयरक्राफ्ट (इंवेस्टिगेशन ऑफ एक्सीडेंट्स एंड इनसिडेंट्स) रूल्स, 2017 का उल्लंघन करती है।
प्रारंभिक रिपोर्ट पर उठे सवाल
याचिका में यह भी कहा गया है कि 12 जुलाई को एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) द्वारा जारी प्रारंभिक रिपोर्ट भ्रामक और अधूरी है। रिपोर्ट में हादसे का कारण पायलट की गलती बताई गई है, जबकि याचिकाकर्ता का कहना है कि यह निष्कर्ष जल्दबाजी में निकाला गया और इससे जुड़ी तकनीकी खामियों को नजरअंदाज किया गया।
एकमात्र बचे यात्री की गवाही
इकलौते बचे यात्री की गवाही याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि विजयकुमार रमेश, जो इस दुर्घटना के एकमात्र जीवित बचे यात्री हैं, उनकी गवाही को रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया। 40 वर्षीय रमेश एक व्यवसायी हैं और लेस्टर, यूके के निवासी हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि उनकी गवाही से कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ सकते थे जिन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया गया।
दुर्घटना का विवरण
हादसे का विवरणयह दर्दनाक हादसा 12 जून को हुआ, जब एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, जो अहमदाबाद से लंदन गैटविक जा रही थी, टेक-ऑफ के तुरंत बाद क्रैश हो गई। यह विमान बोइंग 787-8 था। इस दुर्घटना में 230 यात्रियों, 12 क्रू मेंबर्स और जमीन पर मौजूद कुछ लोगों की जान गई। केवल एक व्यक्ति इस हादसे में जीवित बच पाया।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने माना जांच में खामियों का सवालसुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताते हुए केंद्र सरकार, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और अन्य संबंधित संस्थाओं को नोटिस भेजा है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, सभी तथ्यों की पारदर्शिता के साथ जांच होना आवश्यक है।
निष्पक्ष जांच की आवश्यकता
निष्पक्ष जांच की मांगसेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन का कहना है कि इस तरह की गंभीर दुर्घटनाओं में केवल पायलट या क्रू को दोषी ठहराना पर्याप्त नहीं है। उन्होंने स्वतंत्र, निष्पक्ष और तेज जांच प्रक्रिया की मांग की है, जिससे सच्चाई सामने आएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जा सकेंगे। इस याचिका के बाद केंद्र सरकार और विमानन मंत्रालय पर पारदर्शी जांच को लेकर दबाव बढ़ता दिख रहा है।