सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा की याचिका: क्या होगी जांच समिति की रिपोर्ट का भविष्य?

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख तय
सुप्रीम कोर्ट 28 जुलाई को उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने दायर किया है। यह मामला तब प्रकाश में आया जब उनके निवास से जलाए गए नोटों का एक बड़ा ढेर बरामद हुआ। इसके बाद न्यायाधीश वर्मा को जांच का सामना करना पड़ा। अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका प्रस्तुत कर उस रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की है, जो सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय जांच समिति द्वारा तैयार की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर उठाए सवाल
जस्टिस वर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट में उनके खिलाफ केवल 'संकेतात्मक साक्ष्य' के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया है, जो उचित नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा की गई महाभियोग की सिफारिश को भी चुनौती दी है।
गवाहों से जिरह की अनुमति नहीं दी गई
जस्टिस वर्मा का कहना है कि जांच समिति ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन किया। उनके अनुसार, उन्हें अपना पक्ष रखने और गवाहों से जिरह करने का अवसर नहीं दिया गया। याचिका में उन्होंने यह भी कहा कि समिति ने उल्टा उनसे यह साबित करने की मांग की कि वे निर्दोष हैं, जो कानून के खिलाफ है।
घर से मिली भारी मात्रा में नकदी
यह मामला तब शुरू हुआ जब 14 मार्च को न्यायाधीश वर्मा के दिल्ली स्थित आवास पर आग लग गई। आग बुझाने के दौरान फायर ब्रिगेड को बड़ी मात्रा में जली हुई नकदी मिली, जिसके बाद जांच एजेंसियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया और आगे की छानबीन शुरू की।
सांसदों ने की न्यायाधीश को हटाने की मांग
इस घटनाक्रम के बाद लोकसभा में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया है, जिसे 152 सांसदों ने समर्थन दिया है। इस प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को सौंपा गया। इसमें कांग्रेस, तेदेपा, जेडीयू, जेडीएस और सीपीएम जैसी पार्टियों के सांसद शामिल हैं।
धनखड़ के खिलाफ भी आया था महाभियोग
राज्यसभा में भी पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ एक महाभियोग प्रस्ताव सौंपा गया, जिसमें 50 से अधिक राज्यसभा सांसदों ने हस्ताक्षर किए। यह प्रस्ताव उसी दिन सौंपा गया जब जस्टिस वर्मा ने अपना इस्तीफा दिया।