सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने की घटना पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

सुप्रीम कोर्ट में विवादास्पद घटना
सुप्रीम कोर्ट में एक वकील द्वारा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया गया। इस घटना के तुरंत बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीफ जस्टिस से बातचीत की और सार्वजनिक रूप से इस कृत्य की निंदा की। हालांकि, चूंकि चीफ जस्टिस ने आरोपी वकील के खिलाफ कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई, पुलिस ने उसे छोड़ दिया।
छूटने के बाद, आरोपी वकील मीडिया से लगातार बात कर रहा है और उसके इंटरव्यू ऐसे प्रस्तुत किए जा रहे हैं जैसे उसने कोई बड़ा काम किया हो। मीडिया में उसके कृत्य के प्रति कोई नाराजगी या आलोचना नहीं दिखाई दे रही है। इसके विपरीत, सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थक उसे नायक के रूप में पेश कर रहे हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और प्रभाव
सोशल मीडिया पर ऐसे हैंडल से, जिन्हें भाजपा के प्रमुख नेता फॉलो करते हैं, चीफ जस्टिस के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियाँ की जा रही हैं। एक सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर, जिसने चीफ जस्टिस पर अभद्र टिप्पणी की, को पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया लेकिन उसे तुरंत छोड़ दिया गया।
इस बीच, बिहार में कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने आंसू बहाते हुए कहा कि देश में दलितों की स्थिति ऐसी ही है। कांग्रेस ने यह नैरेटिव प्रस्तुत किया कि दलित चाहे किसी भी पद पर पहुँच जाए, उसे सम्मान नहीं मिलता। इससे भाजपा को बिहार में नुकसान हो सकता है, क्योंकि एक प्रभावी दलित समूह महागठबंधन की ओर जा सकता है।