सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा बिहार का मतदाता सूची पुनरीक्षण मामला

बिहार में मतदाता सूची का मामला सुप्रीम कोर्ट में
नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। यह याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर की गई है।
इस याचिका में चुनाव आयोग के आदेश को 'मनमाना' बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की गई है। एडीआर ने कहा है कि यदि 24 जून का एसआईआर आदेश रद्द नहीं किया गया, तो लाखों मतदाता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने से वंचित रह सकते हैं।
याचिका में यह भी कहा गया है कि एसआईआर लोगों के समानता और जीने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है। इसके अलावा, यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 के प्रावधानों के खिलाफ है। इसलिए, इस आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता ने अनुमान लगाया है कि 3 करोड़ से अधिक मतदाता, विशेष रूप से एससी, एसटी और प्रवासी श्रमिकों जैसे हाशिए के समूहों से, एसआईआर आदेश में निर्धारित सख्त आवश्यकताओं के कारण अपने वोट देने के अधिकार से वंचित रह सकते हैं।
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने विशेष प्रक्रिया शुरू की है, जिसे संक्षेप में एसआईआर कहा जा रहा है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए किसी भी चुनाव से पहले मतदाता सूची को अपडेट करना एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इस बार चुनाव आयोग ने 1 जुलाई से मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा शुरू कर दी है।
इस मुद्दे पर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है। चुनाव आयोग ने तर्क दिया है कि बिहार में मतदाता सूची की गंभीर समीक्षा की आखिरी प्रक्रिया 2003 में हुई थी। उसके बाद से यह प्रक्रिया फिर से नहीं हो पाई, इसलिए यह मुहिम आवश्यक है। इस समीक्षा के लिए चुनाव आयोग ने मतदाताओं के लिए एक फॉर्म तैयार किया है।