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सुप्रीम कोर्ट में बांग्लादेश निर्वासन का मामला: युनूस अली की मां की रिहाई की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने बांग्लादेश में गुप्त निर्वासन के आरोपों पर युनूस अली की मां की रिहाई की याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय लिया है। याचिकाकर्ता ने असम पुलिस पर अपनी मां को अवैध रूप से हिरासत में लेने का आरोप लगाया है। आगामी सुनवाई 2 जून को होगी, जिसमें युनूस अली ने अपनी मां की तत्काल रिहाई की मांग की है। इस मामले में असम में अवैध हिरासत और निर्वासन की प्रथा को चुनौती दी गई है।
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सुप्रीम कोर्ट में बांग्लादेश निर्वासन का मामला: युनूस अली की मां की रिहाई की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की सहमति दी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बांग्लादेश में गुप्त निर्वासन के आरोपों से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय लिया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि असम पुलिस ने उसकी मां को अवैध रूप से हिरासत में लिया है। इस मामले में युनूस अली द्वारा दायर याचिका की सुनवाई 2 जून को होगी।


याचिका की सुनवाई की तिथि

याचिका पर सुनवाई की तारीख


मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई, जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और जस्टिस ए एस चंदुरकर की बेंच ने इस मामले पर विचार किया। याचिकाकर्ता युनूस अली का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट शोएब आलम ने बताया कि उनकी मां को असम पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में लिया है। कोर्ट ने इस मामले को सोमवार, 2 जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। युनूस अली ने अपनी मां मोनोवारा बेवा की तत्काल रिहाई की मांग की है, जिन्हें 24 मई को पुलिस ने धुबरी पुलिस थाने बुलाकर हिरासत में लिया था।


हिरासत के बाद की घटनाएं

हिरासत में लिए जाने के बाद की घटनाएं


याचिका के अनुसार, युनूस अली ने अगले दिन जब पुलिस थाने जाकर अधिकारियों को बताया कि उनकी मां का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तो अधिकारियों ने उन्हें मिलने से मना कर दिया और उनकी रिहाई से भी इंकार कर दिया। याचिका में असम में अवैध हिरासत और बांग्लादेश निर्वासन की प्रथा को चुनौती दी गई है। शोएब आलम ने इस पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें दिखाया जा रहा है कि लोगों को रातों-रात पकड़कर सीमा पार भेजा जा रहा है।


याचिका में क्या मांगा गया है?

याचिका में क्या मांग की गई है?


याचिका में अधिकारियों से अनुरोध किया गया है कि मोनोवारा बेवा को तुरंत धुबरी पुलिस थाने से अवैध हिरासत से रिहा किया जाए। इसके साथ ही, याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि किसी भी व्यक्ति को भारतीय सीमा के पार निर्वासित करने या वापस भेजने पर रोक लगाई जाए। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और आगामी सुनवाई में इसकी अगली दिशा तय की जाएगी।