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सुप्रीम कोर्ट में बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण पर सुनवाई 10 जुलाई को निर्धारित की गई है। इस मुद्दे पर कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें चुनाव आयोग के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस निर्णय से लाखों मतदाताओं के अधिकारों पर खतरा मंडरा रहा है। जानें इस मामले में क्या हो रहा है और अदालत की प्रतिक्रिया क्या रही है।
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सुप्रीम कोर्ट में बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख तय

नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार, 10 जुलाई को सुनवाई होगी। सोमवार को इस विषय पर सुनवाई हुई थी, जिसमें अदालत ने तुरंत सुनवाई करने से मना करते हुए गुरुवार को सुनवाई का दिन निर्धारित किया। इसके साथ ही, अदालत ने चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान पर रोक लगाने की मांग को भी अस्वीकार कर दिया। बुधवार तक इस मामले में कई याचिकाएं दायर की गईं, जिन पर गुरुवार को सुनवाई की जाएगी।


याचिकाओं का सिलसिला

गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सबसे पहले पांच जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के चुनाव आयोग के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। इसके बाद योगेंद्र यादव और तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने भी याचिकाएं दायर कीं। कांग्रेस, राजद और अन्य कई पार्टियों तथा व्यक्तियों ने भी इस मामले में याचिकाएं प्रस्तुत की हैं।


याचिकाकर्ताओं की चिंताएं

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक सिंघवी, शादाब फरासत और गोपाल शंकरनारायणन ने सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई की अपील की। उनका कहना है कि चुनाव आयोग के निर्णय से लाखों मतदाताओं, विशेषकर महिलाओं और गरीबों के अधिकारों पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। सिब्बल ने बताया कि इसका सबसे अधिक प्रभाव कमजोर वर्गों पर पड़ेगा। हालांकि, अदालत ने तत्काल सुनवाई या रोक लगाने की मांग को ठुकरा दिया। सभी की नजर गुरुवार की सुनवाई पर होगी। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि बिहार के बाद पुनरीक्षण का कार्य पश्चिम बंगाल और असम में किया जाएगा।