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सूरजकुंड मेले में लकड़ी की अद्भुत नक्काशी का प्रदर्शन

फरीदाबाद में आयोजित सूरजकुंड दीपावली मेले में आंध्र प्रदेश के दशरथ अचारी ने अपनी लकड़ी पर नक्काशी की कला का अद्भुत प्रदर्शन किया। उनकी मूर्तियां न केवल दर्शकों को आकर्षित कर रही हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को भी आगे बढ़ा रही हैं। जानें इस कला के बारे में और कैसे दशरथ अचारी ने इसे जीवित रखा है।
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सूरजकुंड मेले में लकड़ी की अद्भुत नक्काशी का प्रदर्शन

सूरजकुंड मेले में हस्तशिल्प का जादू


सूरजकुंड मेले में आंध्र प्रदेश के दशरथ अचारी की कला। फरीदाबाद में आयोजित सूरजकुंड दीपावली मेले में, दशरथ अचारी जैसे हस्तशिल्पियों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया है। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।


दशरथ अचारी लकड़ी पर नक्काशी के विशेषज्ञ हैं, जो अपनी कला के माध्यम से लकड़ी को भगवान की मूर्तियों में बदल देते हैं। उनकी स्टॉल न केवल दर्शकों को आकर्षित कर रही है, बल्कि आस्था का केंद्र भी बन गई है।


लकड़ी की मूर्तियों की दीर्घकालिक चमक


दशरथ ने बताया कि लकड़ी से मूर्तियां बनाने की कला को वुड कार्विंग कहा जाता है। उन्होंने इस काम में कई वर्षों का अनुभव प्राप्त किया है। उनका कहना है कि लकड़ी से बनी मूर्तियां और अन्य सामान लंबे समय तक चलते हैं और उनकी चमक भी बनी रहती है।


मूर्तियों के निर्माण में संगवान, महागनी जैसी लकड़ियों का उपयोग किया जाता है। नक्काशी की गई भगवान श्रीगणेश, भगवान बुद्ध, भगवान श्री कृष्ण, श्री वैंकटेश्वर, भगवान श्रीहरि विष्णु और तिरुपति बालाजी की मूर्तियां लोगों को अपनी ओर खींच रही हैं।