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सोनम रघुवंशी की हत्या के बाद की कहानी: इंदौर में छिपी और फिर आत्मसमर्पण किया

मेघालय के शिलांग में राजा रघुवंशी की हत्या के बाद सोनम रघुवंशी के भूमिगत होने की कयासबाजी थी। हालाँकि, वह इंदौर में छिपी रही और फिर गाजीपुर में आत्मसमर्पण कर दिया। जानें कैसे उसने इंदौर में एक फ्लैट में रहकर अपनी पहचान छिपाई और हत्या के बाद की घटनाओं का क्रम क्या था। यह कहानी न केवल एक हत्या के मामले की है, बल्कि एक योजनाबद्ध भागने की भी है।
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सोनम रघुवंशी की हत्या के बाद की कहानी: इंदौर में छिपी और फिर आत्मसमर्पण किया

सोनम का इंदौर में छिपना

23 मई को मेघालय के शिलांग में राजा रघुवंशी की हत्या के बाद, यह अनुमान लगाया जा रहा था कि सोनम रघुवंशी भूमिगत हो गई या देश छोड़कर भाग गई। हालिया जानकारी से पता चला है कि सोनम ने हत्या के बाद इंदौर में नौ दिनों तक छिपकर बिताए और फिर 8 जून को गाजीपुर में आत्मसमर्पण किया।


इंदौर में सोनम का ठिकाना

सूत्रों के अनुसार, सोनम रघुवंशी इंदौर के देवास नाका के पास हीरा बाग कॉलोनी में एक नए तीन मंजिला मकान के ग्राउंड फ्लोर के फ्लैट में रह रही थी। यह फ्लैट हत्या के मुख्य आरोपी विशाल चौहान ने किराए पर लिया था। विशाल ने 30 मई को मकान मालिक शिलोम जेम्स के साथ किराए के लिए समझौता किया। बताया जाता है कि सोनम ने राजा से कहा था कि वह ऐसा फ्लैट खोजे जिसमें सभी सुविधाएं हों, जैसे कि टेलीविजन।


फ्लैट किराए पर लेने की प्रक्रिया

मकान मालिक शिलोम जेम्स के अनुसार, विशाल ने खुद को एक इंटीरियर डिजाइनर बताया, जिसे उसके पुराने घर से निकाला गया था। दस्तावेजों और पुलिस सत्यापन के बाद, विशाल ने 17,000 रुपये मासिक किराया तय किया और 51,000 रुपये अग्रिम भुगतान किए। यह ध्यान देने योग्य है कि जब फ्लैट लिया गया था, तब उस बिल्डिंग में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे, क्योंकि निर्माण कार्य चल रहा था। बाद में, पांच दिन पहले ही वहां निगरानी प्रणाली लगाई गई।


आरोपियों की सामान्य जीवनशैली

हत्या के अगले दिन, यानी 24 मई को, तीनों मुख्य आरोपी विशाल, आकाश और आनंद शिलांग से इंदौर आ गए। वे पुलिस की नजर से बचने के लिए अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट आए। दो दिन बाद, सोनम भी इंदौर पहुंची और उसी फ्लैट में उनके साथ रहने लगी। इस दौरान, राजा, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय था, सोनम के लिए लगभग 7,000 रुपये का किराने का सामान ऑनलाइन मंगवाता रहा। जांचकर्ताओं का मानना है कि यह एक कवर था ताकि पुलिस और लोगों को उनकी असामान्य गतिविधियों पर संदेह न हो।


आत्मसमर्पण की कहानी

7 और 8 जून की रात को, सोनम इंदौर से टैक्सी लेकर वाराणसी पहुंची। वहां से बस द्वारा वह गाजीपुर पहुंची और 8-9 जून की रात अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। यह घटना हत्या के बाद की घटनाओं में महत्वपूर्ण बदलाव लाती है और यह दर्शाती है कि आरोपियों ने पूरी योजना के साथ काम किया था।