सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल समाप्त: लद्दाख में बढ़ती हिंसा पर चिंता

सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल खत्म की
सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल समाप्त की: लद्दाख में 15 दिनों से चल रही उनकी भूख हड़ताल बुधवार को समाप्त हो गई। वांगचुक का उद्देश्य लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाना और संविधान की छठी अनुसूची का विस्तार करना था। हालाँकि, इस आंदोलन के दौरान स्थिति बिगड़ गई, जब बड़ी संख्या में लोग लेह की सड़कों पर उतर आए और आगजनी तथा तोड़फोड़ की घटनाएँ हुईं। धुएं और आग की लपटों ने तनाव का माहौल बना दिया।
10 सितंबर से भूख हड़ताल का आरंभ
10 सितंबर से भूख हड़ताल शुरू की थी
लद्दाख एपेक्स बॉडी (LAB) की युवा शाखा ने 10 सितंबर को भूख हड़ताल शुरू की थी। 35 दिन बाद, 15 में से दो प्रदर्शनकारियों की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस दौरान, प्रदर्शनकारियों ने भाजपा और हिल काउंसिल कार्यालयों पर पथराव किया।
स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए प्रशासन की कार्रवाई
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, प्रशासन ने लेह में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSA) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की। इस आदेश के अनुसार, पांच या अधिक लोगों का एकत्र होना प्रतिबंधित कर दिया गया। जिला मजिस्ट्रेट रोमिल सिंह डोंक ने कहा कि चूंकि नोटिस व्यक्तिगत रूप से नहीं दिया जा सकता था, यह आदेश एकतरफा लागू किया गया है और उल्लंघन करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
वांगचुक की हिंसा के खिलाफ अपील
वांगचुक ने हिंसा बंद करने की अपील की
वांगचुक ने अपने समर्थकों से अपील की कि वे हिंसा को समाप्त करें। उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियाँ उनकी मांगों को नुकसान पहुँचाएंगी और आंदोलन की विश्वसनीयता को प्रभावित करेंगी। उन्होंने युवाओं से कहा कि इस प्रकार की कार्रवाइयाँ केवल हमारी ही हानि करेंगी और देश तथा लद्दाख में स्थिरता को प्रभावित करेंगी।
सोशल मीडिया पर वांगचुक का संदेश
VERY SAD EVENTS IN LEH
— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) September 24, 2025
My message of peaceful path failed today. I appeal to youth to please stop this nonsense. This only damages our cause.#LadakhAnshan pic.twitter.com/CzTNHoUkoC
उन्होंने पहले एक वीडियो संदेश में भी समर्थकों से शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि लेह में हुई घटनाएँ दुखद हैं और उनका शांतिपूर्ण संदेश विफल हो गया है।
संविधान की छठी अनुसूची का महत्व
संविधान की छठी अनुसूची भारत के पूर्वोत्तर राज्यों जैसे त्रिपुरा, मेघालय, मिज़ोरम और असम के कुछ हिस्सों के लिए विशेष प्रावधान करती है। यह प्रावधान आदिवासी समुदायों की सुरक्षा, स्वशासन निकायों की संरचना और न्यायिक व्यवस्था को सुनिश्चित करता है। इसके तहत स्थानीय शासी निकायों को वित्तीय अधिकार दिए जाते हैं, जिससे शासकीय शक्ति और कार्यप्रणाली में विविधता आती है।