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सोनम वांगचुक: जेल में बच्चों को शिक्षा देने वाले जलवायु कार्यकर्ता

सोनम वांगचुक, जो लद्दाख के एक प्रमुख जलवायु कार्यकर्ता हैं, हाल ही में जेल में बच्चों को शिक्षा देने और उनके माता-पिता को पालन-पोषण की सलाह देने में व्यस्त हैं। उन्होंने श्री अरविंदो की आत्मकथात्मक पुस्तक 'Tales of Prison Life' पढ़कर अपने समय का सदुपयोग किया है। वांगचुक का मानना है कि कठिन परिस्थितियों में भी शिक्षा और सकारात्मक मार्गदर्शन के माध्यम से समाज के लिए योगदान दिया जा सकता है। उनकी गतिविधियाँ और लद्दाख की मांगों पर चर्चा इस लेख में की गई है।
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सोनम वांगचुक: जेल में बच्चों को शिक्षा देने वाले जलवायु कार्यकर्ता

नई दिल्ली में सोनम वांगचुक की गतिविधियाँ

नई दिल्ली: लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसा के बाद, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक अब जेल में बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं और उनके माता-पिता को पालन-पोषण के बारे में सलाह दे रहे हैं.

वांगचुक अपने समय का सदुपयोग करते हुए श्री अरविंदो की आत्मकथात्मक पुस्तक ‘Tales of Prison Life’ पढ़ रहे हैं. उनकी पत्नी और हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स की सह-संस्थापक गीतांजलि जे अंगमो ने उनके उद्देश्यपूर्ण जीवन और दिनचर्या के बारे में जानकारी साझा की है.


जेल में बच्चों के साथ समय बिताना

सोनम वांगचुक जेल में कर्मचारियों के बच्चों के साथ समय बिता रहे हैं, उन्हें पढ़ाई कराते हैं और उनके माता-पिता को सलाह देते हैं कि बच्चों की गलतियों पर ध्यान देने के बजाय उनके अच्छे कार्यों की सराहना करें. गीतांजलि जे अंगमो ने बताया कि वांगचुक का यह व्यवहार श्री अरविंदो की जेल की किताबों से प्रेरित है, जिससे वह जेल में भी सकारात्मक गतिविधियों में संलग्न हैं.


श्री अरविंदो की किताब का प्रभाव

वांगचुक श्री अरविंदो की ‘Tales of Prison Life’ से प्रेरित हैं, जिसमें अरविंदो ने 1908-09 में अलिपोर जेल में बिताए एक साल का अनुभव साझा किया है. वांगचुक का कहना है कि उनके मामले और अरविंदो के अनुभवों में समानताएं हैं, जहां अरविंदो पर भी देशद्रोह का आरोप लगाया गया था. उन्होंने अगली बार जेल में एक सन्डियल और चींटियों के व्यवहार पर किताब लाने की इच्छा व्यक्त की है.


लद्दाख की मांगें और सरकारी प्रस्ताव

लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने गृह मंत्रालय को 29 पृष्ठों का प्रस्तावित मांग पत्र सौंपा है, जिसमें लद्दाख को राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची के तहत विशेष अधिकार और 24 सितंबर की हिंसा में गिरफ्तार लोगों के लिए आम माफी की मांग शामिल है. LAB के सह-अध्यक्ष चेरिंग डोरजाई लाकरूक ने बताया कि इसमें वांगचुक और अन्य गिरफ्तार लोगों के लिए सामान्य क्षमा की भी मांग की गई है.


24 सितंबर की हिंसा और नतीजे

24 सितंबर को हुए विरोध प्रदर्शन में चार लोग मारे गए और लगभग 100 अन्य घायल हुए, जिनमें पुलिस और अर्धसैनिक बल शामिल हैं. प्रदर्शनकारियों ने कई भवनों को नुकसान पहुंचाया और भाजपा कार्यालय व पुलिस वाहनों में आग लगा दी. इस हिंसा के बाद वांगचुक पर कई आरोप लगाए गए, जिनमें 'चाइनीज एजेंट', 'विदेश से समर्थित', 'हिंसा भड़काने वाला' और 'भारतीय संप्रभुता के लिए खतरा' शामिल हैं.


जेल में उद्देश्यपूर्ण जीवन और मानसिक संतुलन

वांगचुक जेल में बच्चों के साथ समय बिताकर और श्री अरविंदो की पुस्तक पढ़कर मानसिक संतुलन बनाए रखे हैं. उन्होंने अपनी दिनचर्या और सीखने के तरीकों को गीतांजलि के माध्यम से साझा किया है, जो दर्शाता है कि वह कठिन परिस्थितियों में भी शिक्षा और सकारात्मक मार्गदर्शन के माध्यम से समाज के लिए योगदान देने का प्रयास कर रहे हैं.