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सोनिया गांधी ने MGNREGA के अंत को ग्रामीण भारत के लिए विनाश बताया

सोनिया गांधी ने MGNREGA के अंत को ग्रामीण भारत के लिए विनाश बताया है। उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि उसने बिना जनसंवाद और सहमति के इस योजना को समाप्त किया है। उनका कहना है कि यह योजना गांधीजी के सर्वोदय के सपने को साकार करती थी। जानें इस मुद्दे पर उनके विचार और मोदी सरकार की नीतियों पर उठाए गए सवाल।
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सोनिया गांधी ने MGNREGA के अंत को ग्रामीण भारत के लिए विनाश बताया

सोनिया गांधी का गंभीर आरोप


नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा द हिंदू में प्रकाशित एक लेख को साझा करते हुए मोदी सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि न तो जनसंवाद हुआ, न संसद में चर्चा, और न ही राज्यों की सहमति ली गई। मोदी सरकार ने मनरेगा और लोकतंत्र दोनों पर बुलडोज़र चला दिया है।


सोनिया गांधी का लेख पढ़ें




राहुल गांधी ने कहा कि यह विकास नहीं, विनाश है, जिसकी कीमत करोड़ों मेहनतकश भारतीय अपनी रोज़ी रोटी गंवा कर चुकाएंगे। सोनिया गांधी का यह लेख इस गंभीर मुद्दे के हर पहलू को उजागर करता है।


कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को समाप्त करने को ग्रामीण भारत के लिए एक बड़ी तबाही बताया है। उन्होंने कहा कि यह योजना गांधीजी के सर्वोदय के सपने को साकार करती थी और संविधान के अनुच्छेद 41 से प्रेरित थी, जो काम का अधिकार देती है। अब इसे समाप्त कर दिया गया है, जो हम सबकी असफलता है। ‘द हिंदू’ में अपने संपादकीय ‘द बुलडोज्ड डेमोलिशन ऑफ MGNREGA’ में सोनिया गांधी ने लिखा, ‘MGNREGA की मौत हमारी सामूहिक असफलता है।’ उन्होंने सभी से अपील की कि हम एकजुट होकर उन अधिकारों की रक्षा करें जो सबकी सुरक्षा करते हैं।


केंद्र और राज्यों के बीच लागत बंटवारा 60:40 है, जबकि पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए यह 90:10 है, और केंद्र शासित क्षेत्रों के लिए 100% केंद्र द्वारा।


MGNREGA पर दबाव


सोनिया ने कहा कि मोदी सरकार का दावा है कि रोजगार 100 से 125 दिन बढ़ा दिया गया है, लेकिन यह एक धोखा है। पिछले दशक में इस योजना को कमजोर करने की कोशिश की गई। प्रधानमंत्री ने संसद में योजना का मजाक उड़ाया, बजट स्थिर रखा, तकनीक से लोगों को बाहर किया और मजदूरों के भुगतान में देरी की। यह सिर्फ MGNREGA पर नहीं, बल्कि संविधान पर भी हमला है। वोट का अधिकार, सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, वन अधिकार, भूमि अधिग्रहण में मुआवजा का अधिकार सभी कमजोर किए जा रहे हैं। तीन कृषि कानूनों के माध्यम से एमएसपी का अधिकार छीनने की कोशिश की गई। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून अगला निशाना हो सकता है।


ग्रामीण भारत की आवाज दबाने की साजिश?


MGNREGA ने ग्रामीण संकट से निपटने में मदद की थी। अब इसे समाप्त करके गरीबों की आवाज दबाई जा रही है। सोनिया गांधी ने अपील की कि अब पहले से ज्यादा जरूरी है कि हम एकजुट होकर उन अधिकारों की रक्षा करें जो हमें बचाते हैं। यह खबर ‘द हिंदू’ में सोनिया गांधी के संपादकीय पर आधारित है, जहां उन्होंने MGNREGA को ‘बुलडोज्ड एंड डेमोलिश्ड’ बताया। ग्रामीण विकास और रोजगार के मुद्दे पर यह बहस छिड़ सकती है, जो मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाती है।