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सोनू की मेहनत से अमरूद की खेती में मिठास का जादू

फरीदाबाद के छायंसा गांव में किसान सोनू की अमरूद की खेती की कहानी प्रेरणादायक है। 10 एकड़ में फैले उनके बाग में बर्फ खाना और ताइवान पिंक जैसी बेहतरीन किस्में उगाई जाती हैं। हालांकि, कीटों से फसल की रक्षा करना एक चुनौती है। इस बार बाजार में मंदी के कारण कीमतें कम हैं, लेकिन सोनू की मेहनत और समर्पण से उनके अमरूद की मिठास बाजार में लोकप्रिय है। जानें उनकी खेती की पूरी कहानी।
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सोनू की मेहनत से अमरूद की खेती में मिठास का जादू

अमरूद की खेती: सोनू की प्रेरक कहानी

अमरूद की खेती: सोनू की मेहनत से मिठास का जादू: फरीदाबाद | आजकल बागवानी खेती किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प बन चुकी है। इसी कड़ी में मेरठ के किसान सोनू की कहानी है, जो फरीदाबाद के छायंसा गांव में 10 एकड़ भूमि पर अमरूद की खेती कर रहे हैं।


उनके बाग में बर्फ खाना, कासगंज और ताइवान पिंक जैसी उत्कृष्ट किस्मों के अमरूद उगाए जा रहे हैं। सोनू का कहना है कि अमरूद की खेती दिखने में सरल लगती है, लेकिन इसमें दिन-रात की मेहनत और उच्च लागत लगती है। आइए जानते हैं उनकी खेती की यात्रा के बारे में।


40 हजार रुपये प्रति किला अमरूद की खेती


सोनू ने बताया कि एक एकड़ में लगभग 200 अमरूद के पेड़ हैं और उन्होंने भूमि 40 हजार रुपये प्रति किला पर ली है। यह बाग साल में दो बार फल देता है। यह बाग पहले से तैयार था, जिसे उन्होंने दो साल पहले पट्टे पर लिया। अमरूद की खेती में सबसे बड़ी चुनौती कीटों और मक्खियों से फसल की रक्षा करना है।


कई बार बाहर से सुंदर दिखने वाले अमरूद अंदर से कीड़ों के कारण खराब हो जाते हैं। इसके लिए साइपर 25 और अल्फा मीथेन जैसी दवाओं का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, दीमक से बचाने के लिए चुना और अन्य दवाइयां भी लगाई जाती हैं। सोनू का कहना है कि हर 15 दिन में पेड़ों को पानी देना आवश्यक है, अन्यथा पैदावार पर असर पड़ता है।


बाजार में मंदी का प्रभाव


इस बार बाजार में मंदी के कारण अमरूद की कीमतें कम हैं। फरीदाबाद और बल्लभगढ़ की मंडियों में एक कैरेट (20-22 किलो) अमरूद 300 से 350 रुपये में बिक रहा है।


पिछले सीजन में ऊंची कीमतों के कारण अच्छा मुनाफा हुआ था, लेकिन इस बार अधिक बारिश ने भी पैदावार को प्रभावित किया है। सोनू का कहना है कि इस बाग के माध्यम से ही उनके परिवार की आजीविका चलती है।


मेहनत से मिलती है मिठास


सोनू बताते हैं कि अमरूद के पेड़ों की नियमित छंटाई और सफाई बहुत महत्वपूर्ण है। इससे पौधों की शक्ति सही दिशा में लगती है और अधिक फल मिलते हैं। एक कहावत है, “जितनी देखभाल, उतना मीठा फल,” और छायंसा गांव के ये अमरूद इस बात को पूरी तरह से साबित करते हैं। सोनू की मेहनत और समर्पण के कारण उनके बाग के अमरूद बाजार में बहुत पसंद किए जाते हैं।