सोवियत संघ का विघटन: चीन की नई शक्ति का उदय
इस लेख में सोवियत संघ के विघटन के बाद चीन के उदय की कहानी को बताया गया है। जानें कैसे चीन ने अपने आर्थिक सुधारों और वैश्विक रणनीतियों के माध्यम से अमेरिका को चुनौती दी। यह घटना न केवल चीन के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
Sep 23, 2025, 20:05 IST
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सोवियत संघ का विघटन और चीन का उदय
एक ऐसा साम्राज्य जिसने जर्मन तानाशाह हिटलर को हराया, अमेरिका के साथ शीत युद्ध लड़ा, और परमाणु तथा अंतरिक्ष में अपनी ताकत साबित की। क्यूबा से लेकर वियतनाम तक की क्रांतियों में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसकी भौगोलिक ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके पास पृथ्वी का एक छठा भाग था। अर्थव्यवस्था, तकनीक और विचारधारा के हर क्षेत्र में इसका प्रभाव था। लेकिन 1991 में ऐसा क्या हुआ कि यह 15 अलग-अलग देशों में बंट गया? एक रात में सोवियत संघ का विघटन एक चौंकाने वाली घटना थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी के दौरान 'आपदा में अवसर' का मंत्र दिया, लेकिन इसे तीन दशक पहले चीन ने अपनाने का निर्णय लिया था। सोवियत संघ के विघटन के बाद दुनिया एक ध्रुवीय दिशा में बढ़ रही थी। सोवियत संघ के बिखरने के बाद अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी प्रभाव में लगातार वृद्धि हो रही थी, लेकिन चीन ने इसे अपने लिए एक अवसर के रूप में देखा।
चीन की आर्थिक प्रगति
आंकड़े बताते हैं कि 1990 तक चीन अमेरिका के मुकाबले कहीं नहीं था, लेकिन उसके बाद उसने जो गति पकड़ी, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया। 1990 में चीन केवल आठ देशों के लिए शीर्ष निर्यातक था, जबकि आज यह संख्या 125 तक पहुंच गई है। इसका मतलब है कि दुनिया के 125 देश अपने सबसे अधिक सामान के लिए चीन पर निर्भर हैं। दूसरी ओर, 1990 में अमेरिका 175 देशों के लिए शीर्ष निर्यातक था, लेकिन अब यह संख्या केवल 35 रह गई है। इससे स्पष्ट होता है कि चीन ने अमेरिका को कितना नुकसान पहुंचाया है। चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को बाजार के भरोसे छोड़ने के बजाय घरेलू सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया। आर्थिक सुधारों के तहत, खराब प्रदर्शन कर रही सरकारी कंपनियों को या तो बंद कर दिया गया या पुनर्गठित किया गया।
चीन और सोवियत संघ का प्रभाव
1980 के दशक में, सोवियत संघ चीन के लिए सबसे बड़ा खतरा था, जिसने चीन को अमेरिका और जापान के साथ सहयोग करने के लिए प्रेरित किया। लेकिन 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदलाव देखने को मिला। 2001 में, रूस और चीन ने अच्छे पड़ोसी और मित्रता के सहयोग पर एक संधि पर हस्ताक्षर किए। चीन लगातार विभिन्न शक्तियों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता रहा है, और वह अमेरिका, रूस और जापान के साथ-साथ भारत और यूरोप के बीच भी नेविगेट करता है। चीन का एकमात्र औपचारिक गठबंधन उत्तर कोरिया के साथ है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि सहयोगी बने रहने या न रहने के बावजूद, रूस चीन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।