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स्वतंत्रता दिवस पर आत्मविश्वास और एकता का संकल्प

स्वतंत्रता दिवस पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रेरणादायक संदेश के माध्यम से आत्मविश्वास और एकता का महत्व उजागर किया गया है। यह लेख स्वतंत्रता सेनानियों की भावना को पुनर्जीवित करने और वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करता है। जानें कैसे हमें अपने देश के प्रति विश्वास और एकता के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस का संदेश

जब मुझे महीनों तक भारत से बाहर जेलों में रहना पड़ा, तो अक्सर मेरे मन में यह सवाल उठता था कि किसके लिए और किसकी प्रेरणा से हम जेल की यातनाओं को सहकर भी टूटे नहीं, बल्कि और अधिक मजबूत बनकर उभरे हैं? इस प्रश्न का जो उत्तर मुझे मिला, उसका आशय है-भारत का एक 'मिशन' है, एक गौरवपूर्ण भविष्य है: हम उस भविष्य के उत्तराधिकारी हैं। हम नए भारत के मुक्ति के इतिहास की रचना कर रहे हैं और आगे भी करेंगे। यही आस्था हमें सभी दुखों को सहन करने की शक्ति देती है, भविष्य के अंधेरों को अस्वीकार करने की क्षमता देती है, और यथार्थ के कठोर सत्य को आदर्श के आघात से धूल में मिला देती है। यही अटल आस्था है, जो बंगाल की युवा शक्ति को मृत्युंजयी बनाती है। यह 'श्रद्धा' और आत्म-विश्वास ही स्रष्टा बनाता है, वही व्यक्ति देश-सेवा का अधिकारी है। संसार में जो भी महान प्रयास हैं, वे मानव-मन के आत्म-विश्वास और निर्माण शक्ति की छाया हैं। अपने और अपने राष्ट्र पर भरोसा न रखने वाला व्यक्ति कभी कुछ निर्माण नहीं कर सकता।


1926 में बंगाल की युवा शक्ति को संबोधित करते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जो कहा, उसका एक अंश आपके सामने प्रस्तुत है। नेताजी के समान, मदन लाल ढींगरा, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और स्वतंत्रता के लिए अपने सब कुछ न्यौछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को आज स्वतंत्रता दिवस पर नमन करते हुए देश-विदेश में बैठे भारतवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।


स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अंग्रेजी शासन की अमानवीय यातनाएं सहने वाले हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का आत्मविश्वास उनकी पीड़ा को हर लेता था। वे शारीरिक पीड़ा को भूलकर आत्मसुख की अनुभूति करते थे, उन्हें विश्वास था कि हमारी भावी पीढ़ी जल्द ही आजाद हवा में सांस लेगी। यही एहसास उनके अंदर वह शक्ति भर देता था, जो अंग्रेजी हकूमत की गोलियों और तोपों को हंसते-हंसते सहन कर जाते थे।


आजादी के लिए काल कोठरियों में वर्षों बंद रहने वाले और फांसी के फंदे को चूमने या गोली खाने वालों का एक ही लक्ष्य था कि स्वतंत्र भारत की आजाद हवाओं में उनकी भावी पीढ़ियां सांस ले सकें। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना खून बहाकर जो स्वतंत्रता हमें दी, उसे संभालकर रखना और अपनी भावी पीढ़ियों को देना हमारा कर्तव्य है।


'ऑपरेशन सिन्दूर' के बाद पाकिस्तान, अमेरिका, तुर्की और चीन जिस तरह एकजुट होकर भारत की घेराबंदी कर रहे हैं, उसका सामना करने के लिए हमें उसी भावना से अपने आप को एक बार फिर ओत-प्रोत करने की आवश्यकता है, जो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों में थी। आज भारत को आर्थिक रूप से गुलाम बनाने के षड्यंत्र विश्व स्तर पर रचे जा रहे हैं। अमेरिका टैरिफ द्वारा और चीन भारत के बाजारों पर कब्जा कर भारत को आर्थिक दबाव में डालने की कोशिश कर रहा है।


भारत आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और तीसरी बनने की ओर अग्रसर है। भारत के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए कई प्रकार की बाधाएं उत्पन्न की जा रही हैं। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के स्तंभों को कमजोर करने के लिए भ्रम और भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। खेद की बात है कि हमारे कुछ जिम्मेदार लोग भारत विरोधी शक्तियों के चक्रव्यूह में फंसकर अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारने का काम कर रहे हैं।


समय की मांग है कि हम अपने और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर विश्वास रखकर देश के वर्तमान और भविष्य को मजबूत और सुरक्षित रखने के लिए एकजुट होकर कार्य करें। विकसित देश कभी नहीं चाहेंगे कि भारत उन्हें चुनौती दे। भारत जितना आत्मनिर्भर होगा, उतना ही मजबूत होगा। यही बात विकसित देशों को भयभीत कर रही है। एक स्थाई सरकार को कमजोर कर देश में कठपुतली सरकार बनाने का प्रयास कोई नया नहीं है। बांग्लादेश, पाकिस्तान हमारे सामने नवीनतम उदाहरण हैं। इसी तरह अफगानिस्तान और कई अन्य देशों में कठपुतली सरकारें विकसित देशों के इशारे पर स्थापित हो कार्य कर रही हैं।


आज स्वतंत्रता दिवस पर संकल्प लें कि जिस भावना से ओत-प्रोत होकर हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया, हम उसी भावना से देशहित में कार्य करेंगे। भाषा और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर देश के लिए जीएंगे और मरेंगे। यह संकल्प तभी पूरा होगा जब हमें भी स्वतंत्रता सेनानियों की तरह अपने में और देश के प्रति आत्मविश्वास होगा।


स्वतंत्रता दिवस पर आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।


स्वतंत्रता दिवस पर आत्मविश्वास और एकता का संकल्प


-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक।