स्वामी रामभद्राचार्य का विवादास्पद बयान: संत प्रेमानंद पर उठे सवाल

स्वामी रामभद्राचार्य का बयान
स्वामी रामभद्राचार्य विवाद: भारतीय संत समुदाय में एक बार फिर हलचल मच गई है, जब आध्यात्मिक नेता स्वामी रामभद्राचार्य ने संत प्रेमानंद महाराज के बारे में टिप्पणी की। इस बयान के बाद कई संत और धार्मिक गुरु इससे असहमत हैं और इसे समाज, विशेषकर युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाला मानते हैं।
स्वामी रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज के बारे में कहा कि 'यह कोई चमत्कार नहीं है। प्रेमानंद जी मेरे लिए बालक समान हैं। यदि कोई चमत्कार है, तो मैं चुनौती देता हूं कि प्रेमानंद जी मेरे सामने एक अक्षर संस्कृत में बोलकर दिखाएं, या मेरे कहे हुए संस्कृत श्लोकों का अर्थ समझाएं।'
प्रेमानंद महाराज पर रामभद्राचार्य की टिप्पणी
रामभद्राचार्य ने यह भी स्पष्ट किया कि वे प्रेमानंद जी के प्रति कोई द्वेष नहीं रखते। लेकिन उनके अनुसार, प्रेमानंद महाराज न तो विद्वान हैं और न ही चमत्कारी। उन्होंने प्रेमानंद की लोकप्रियता को क्षणभंगुर बताते हुए कहा, 'उनका भजन करना अच्छा लगता है, लेकिन इसे चमत्कार कहना मैं स्वीकार नहीं करता।'
Ayodhya, Uttar Pradesh: On spiritual leader Swami Rambhadracharya’s remark on Sant Premanand, Hanuman Garhi temple priest Mahant Raju Das says, "Both are great saints, and such statements should not be made..." pic.twitter.com/OPEbMIhPyL
— News Media (@news_media) August 24, 2025
संत समाज में रोष
रामभद्राचार्य के बयान पर संत समाज में भारी रोष उत्पन्न हुआ है। हनुमान गढ़ी मंदिर के पुजारी महंत राजू दास ने कहा, 'दोनों महान संत हैं और ऐसे बयान नहीं दिए जाने चाहिए।' संत दिनेश फलाहारी महाराज ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'प्रेमानंद महाराज जी एक बहुत महान और दिव्य संत हैं। रामभद्राचार्य का बयान गलत है। ऐसे संत के प्रति द्वेष भावना रखना चिंता का विषय है।'
Mathura, Uttar Pradesh: On spiritual leader Swami Rambhadracharya’s remark on Sant Premanand, Sant Dinesh Falahari Maharaj says, "Premanand Maharaj Ji is a very great and divine saint. The statement given by Rambhadracharya is very wrong. To hold such a feeling of malice towards… pic.twitter.com/r18FlUbsq1
— News Media (@news_media) August 24, 2025
संत समाज में चिंता का माहौल
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की टिप्पणियां न केवल संत समाज में विभाजन पैदा करती हैं, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए भ्रम और गलत संदेश भी उत्पन्न करती हैं। संत समाज में यह भावना है कि संतों के बीच सौहार्द बनाए रखना और सम्मानजनक भाषा का उपयोग करना आवश्यक है।
Mumbai, Maharashtra: On spiritual leader Swami Rambhadracharya’s remark on Sant Premanand, Mahamandaleshwar Swami Chidambaranand Saraswati Ji Maharaj, Anant Shri Vibhushit, Shri Panchayati Akhada Mahanirvani says, "Rambhadracharya always tends to create some controversy. It has… pic.twitter.com/nPjJjIfOf0
— News Media (@news_media) August 24, 2025