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हक पर बेहतरीन शायरी: अधिकार और जिम्मेदारी का संगम

इस लेख में हम हक और जिम्मेदारी पर आधारित बेहतरीन शायरी का संग्रह प्रस्तुत कर रहे हैं। हक का अर्थ केवल कानूनी नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक भी है। महान शायरों की रचनाओं के माध्यम से हम समझेंगे कि हक के साथ जिम्मेदारी भी आती है। आइए, इस अद्भुत शायरी के सफर पर चलें और अपने अधिकारों की महत्ता को समझें।
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हक पर बेहतरीन शायरी: अधिकार और जिम्मेदारी का संगम

हक शायरी: अधिकार की महत्ता

हक शायरी हिंदी में: जब भी हक की बात होती है, दिल में एक अलग उत्साह जाग उठता है। हक का मतलब है अपना अधिकार। यह आजादी की लड़ाई का मूल था – अपने देश पर हक। हक केवल कानूनी नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक भी होता है। बाप-दादा की संपत्ति पर हक, शिक्षा पर हक, वोट देने का हक... सब कुछ हक से ही संभव है।


हालांकि, हक के साथ जिम्मेदारी भी आती है। नैतिकता हमें सिखाती है कि अपने हक का त्याग न करें और दूसरों का हक न छीनें। कई महान शायरों ने हक पर अद्भुत शायरी की है। आइए, कुछ हक पर आधारित शायरी पढ़ते हैं:


कुछ बेहतरीन हक शायरी

कुछ दिन तो मलाल उस का हक़ था


बिछड़ा तो ख़याल उस का हक़ था
किश्वर नाहीद


बोलते क्यूं नहीं मिरे हक़ में
आबले पड़ गए ज़बान में क्या
जौन एलिया


हक़-परस्ती के सज़ा-वार हुआ करते थे
हम कभी साहब-ए-किरदार हुआ करते थे
ताशी ज़हीर


मुझ को भी हक़ है ज़िंदगानी का
मैं भी किरदार हूं कहानी का
ताहिर अज़ीम


ज़िंदा रहने का हक़ मिलेगा उसे
जिस में मरने का हौसला होगा
सरफ़राज़ अबद


बात हक़ है तो फिर क़ुबूल करो
ये न देखो कि कौन कहता है
दिवाकर राही


सारी गवाहियां तो मिरे हक़ में आ गईं
लेकिन मिरा बयान ही मेरे ख़िलाफ़ था
नफ़स अम्बालवी


सत्य पर आधारित शायरी

सत्य शायरी हिंदी में


चश्म-ए-वहदत से गर कोई देखे
बुत-परस्ती भी हक़-परस्ती है
जोशिश अज़ीमाबादी


हमारे हक़ में दुआ करेगा
वो इक न इक दिन वफ़ा करेगा
नासिर राव


मिरे हक़ में कोई ऐसी दुआ कर
मैं ज़िंदा रह सकूँ तुझ को भुला कर
सीमान नवेद


हक़ वफ़ा के जो हम जताने लगे
आप कुछ कह के मुस्कुराने लगे
अल्ताफ़ हुसैन हाली


वो सूफ़ी कि था ख़िदमत-ए-हक़ में मर्द
मोहब्बत में यकता हमीयत में फ़र्द
अल्लामा इक़बाल


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