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हजरतबल मस्जिद विवाद: अशोक चिह्न तोड़ने से बढ़ा तनाव

श्रीनगर की हजरतबल मस्जिद में अशोक चिह्न तोड़ने की घटना ने घाटी में तनाव पैदा कर दिया है। इस विवाद पर विभिन्न राजनीतिक दलों और नमाजियों की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस और वक्फ बोर्ड के बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं, जबकि पीडीपी की नेता ने इस घटना को सांप्रदायिक मानसिकता का परिणाम बताया है। जानें इस संवेदनशील मुद्दे पर सभी पक्षों की राय और प्रशासन की स्थिति।
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हजरतबल मस्जिद विवाद: अशोक चिह्न तोड़ने से बढ़ा तनाव

हजरतबल मस्जिद में अशोक चिह्न का विवाद

हजरतबल मस्जिद विवाद: श्रीनगर की प्रसिद्ध हजरतबल मस्जिद में एक पत्थर की पट्टिका पर बने अशोक चिह्न को तोड़ने के बाद घाटी में तनाव उत्पन्न हो गया है। जुमे की नमाज के बाद कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने इस पट्टिका को तोड़कर राष्ट्रीय प्रतीक को हटा दिया। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में विवाद को जन्म दिया है, जिसमें राजनीतिक दलों और नमाजियों की विभिन्न प्रतिक्रियाएं शामिल हैं।


नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कई नमाजियों का मानना है कि इबादतगाह में किसी भी मूर्ति या प्रतीक का प्रदर्शन इस्लाम के एकेश्वरवाद के सिद्धांत का उल्लंघन है, जिसमें मूर्ति पूजा पर सख्त पाबंदी है। इस विवाद के बाद वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष द्राबी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घटना की निंदा की और आरोप लगाया कि पट्टिका तोड़ने वाले 'गुंडे और आतंकवादी' हैं। उन्होंने इन व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और पीएसए (पब्लिक सेफ्टी एक्ट) लगाने की मांग की, जो बिना सुनवाई के दो साल तक किसी आरोपी को हिरासत में रखने की अनुमति देता है।


विधायक तनवीर सादिक पर आरोप

विधायक तनवीर सादिक पर आरोप


अंद्राबी ने एनसी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक तनवीर सादिक पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस घटना के पीछे उनके समर्थक थे। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब राष्ट्रीय प्रतीक का उपयोग देशभर के निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है, तो इसे विवादास्पद क्यों माना जा रहा है।


नेशनल कॉन्फ्रेंस का बयान

नेशनल कॉन्फ्रेंस का बयान


नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि हजरतबल मस्जिद जैसे पवित्र स्थलों पर श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान होना चाहिए। पार्टी ने यह स्वीकार किया कि पट्टिका के डिजाइन को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी और कहा कि वक्फ एक ट्रस्ट है, न कि किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति, जिसे आम मुसलमानों की परंपराओं और विश्वास के अनुसार संचालित किया जाना चाहिए। एनसी ने अंद्राबी पर आरोप लगाया कि वह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले लोगों से माफी मांगने के बजाय पीएसए की धमकी देकर माहौल को बिगाड़ रही हैं।


मुसलमानों को जानबूझकर उकसाया

मुसलमानों को जानबूझकर उकसाया


पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने अंद्राबी की आलोचना की और कहा कि मुसलमानों को जानबूझकर उकसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि धार्मिक भावनाओं के आहत होने पर प्रतिक्रिया देने वाले लोगों को आतंकवादी कहना और उन पर पीएसए लगाने की मांग भाजपा की सांप्रदायिक मानसिकता को दर्शाता है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद और शिया नेता रूहुल्लाह मेहदी ने भी इस घटना और अंद्राबी की प्रतिक्रिया की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम अहंकार को बढ़ावा देने वाले हैं और पीएसए लगाने की बात करना घाव पर नमक छिड़कने जैसा है। यह विवाद अब राजनीतिक रंग ले चुका है। प्रशासन पर दबाव है कि वह इस संवेदनशील मामले में संतुलित और सख्त रुख अपनाए।