हथिनीकुंड बैराज में जल स्तर में गिरावट, ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट
यमुनानगर में जल स्तर में कमी
यमुनानगर, (Hathini Kund Water Level): सर्दियों की शुरुआत के साथ ही हथिनीकुंड बैराज पर जल स्तर में तेजी से कमी आ रही है। यह वह समय है जब पहाड़ों से आने वाला जल प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे यमुना नदी, पश्चिमी नहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट उत्पन्न हो रहा है। वर्तमान में बैराज पर केवल पांच से सात हजार क्यूसेक पानी बह रहा है, जो पनबिजली उत्पादन, सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए अपर्याप्त है।
हथिनीकुंड बैराज का महत्व
डायवर्जन पॉइंट है हथिनीकुंड बैराज
हथिनीकुंड बैराज हरियाणा और दिल्ली के लिए यमुना नदी का एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है। यह एक जलाशय नहीं है, बल्कि एक डायवर्जन पॉइंट है, जहां से पानी विभिन्न नहरों और परियोजनाओं की ओर मोड़ा जाता है। सर्दियों में पहाड़ों पर बर्फ जमने से नदियों में जल प्रवाह कम हो जाता है, जिससे बैराज का जल स्तर हर साल नवंबर से फरवरी तक तेजी से गिरता है।
जल स्तर की आवश्यकता
पर्याप्त जलस्तर जरूरी
यमुना पनबिजली परियोजना के सुचारू संचालन के लिए पर्याप्त जल स्तर आवश्यक है। पानी की कमी के कारण इस समय केवल कुछ टरबाइन ही कार्यरत हैं। सोमवार को हथिनीकुंड बैराज पर जल स्तर में दिनभर उतार-चढ़ाव देखने को मिला। गेज रीडर मनीष कुमार ने बताया कि सुबह 6 बजे 5019 क्यूसेक, 8 बजे 5403 क्यूसेक, 10 बजे 5540 क्यूसेक, 12 बजे 5608 क्यूसेक, 2 बजे 5281 क्यूसेक, 4 बजे 4020 क्यूसेक और 5 बजे 9397 क्यूसेक पानी बहा।
जल संकट की स्थिति
इसमें से यमुना में 352 क्यूसेक और पश्चिमी नहर में 3645 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, यह मात्रा क्षेत्र की जल आवश्यकताओं के मुकाबले काफी कम है। हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत और दिल्ली तक नहर प्रणालियों के माध्यम से पहुंचता है। इन क्षेत्रों के कई गांव पूरी तरह से नहर की जलापूर्ति पर निर्भर हैं, और पानी की कमी के कारण जल संकट बढ़ रहा है। किसान विकास कुमार, जयकुमार, सतीश कुमार, सद्दाम, इकरार और जाकिर हुसैन ने बताया कि हाल के दिनों में खेतों की सिंचाई में कठिनाई आ रही है।
जल संग्रहण की आवश्यकता
पानी संग्रहित नहीं किया जा सकता
सिंचाई विभाग के एक्सईएन विजय कुमार ने बताया कि हथिनीकुंड बैराज पर पानी को केवल डायवर्ट किया जाता है, यहां पानी संग्रहित नहीं किया जा सकता। सर्दियों में पहाड़ों पर बर्फ जमने के कारण जल प्रवाह कम हो जाता है, जिससे जल स्तर स्वाभाविक रूप से गिरता है। यही कारण है कि ग्रामीण जलापूर्ति और पनबिजली दोनों प्रभावित होती हैं।
जल भंडारण की आवश्यकता पर विचार
जल भंडारण की व्यवस्था जरूरी : डॉ. अशोक
पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. अशोक का कहना है कि सर्दियों में घटता जल स्तर भले ही प्राकृतिक कारणों से हो, लेकिन समस्या यह है कि हमने वैकल्पिक जल भंडारण और पुनर्भरण की व्यवस्था नहीं की। यदि बारिश के पानी को संचित करने के ठोस उपाय किए जाएं, तो सर्दी के दिनों में इस संकट को काफी हद तक टाला जा सकता है।
