हमीरपुर में कचरे के ढेर पर एनजीटी की सख्त चेतावनी, समय सीमा में सुधार की आवश्यकता

एनजीटी की फटकार
शिमला- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हमीरपुर नगर निगम (एचएमसी) को चेतावनी दी है कि यदि वह 30 जून 2025 तक पुराने कचरे को साफ नहीं करता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। पहले किए गए वादों के बावजूद, निर्धारित स्थान पर लगभग 10,000 मीट्रिक टन पुराना कचरा अभी भी मौजूद है।
अधिकरण ने सुनवाई के दौरान बताया कि हमीरपुर में प्रतिदिन लगभग 17 मीट्रिक टन ठोस कचरा उत्पन्न होता है, जबकि इसे संभालने की क्षमता केवल 7.0 मीट्रिक टन है। यह क्षमता की कमी कचरे के ढेर को बढ़ा रही है और समस्या को और भी गंभीर बना रही है।
नगर आयुक्त का आश्वासन
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नगर आयुक्त अभिषेक गर्ग ने बताया कि छह महीने के भीतर पुराने कचरे को हटाने का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। हालांकि, एनजीटी ने चिंता व्यक्त की कि न तो पुराने कचरे के निस्तारण के लिए और न ही रोजाना उत्पन्न होने वाले कचरे के 100 प्रतिशत प्रसंस्करण के लिए कोई ठोस योजना प्रस्तुत की गई है, जिससे भविष्य में कचरे के ढेर लगने की संभावना बनी हुई है।
कार्य योजना की आवश्यकता
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेंथिल वेल की अगुवाई में पीठ ने आयुक्त को निर्देश दिया कि वह कचरा साफ करने के लिए एक विस्तृत और समयबद्ध कार्य योजना प्रस्तुत करें, साथ ही कचरा उत्पादन और उपचार क्षमता के बीच की खाई को पाटने के लिए रणनीति भी दें।
अधिकरण ने यह भी आदेश दिया कि आयुक्त दो सप्ताह के भीतर एक शपथपत्र और व्यक्तिगत आश्वासन दाखिल करें, जिसमें छह महीने की समयसीमा का पालन करने की प्रतिबद्धता हो। मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर 2025 को होगी, जिसमें प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
याचिका का संदर्भ
यह मामला रीता शर्मा और एक अन्य याचिकाकर्ता द्वारा दायर उस याचिका से संबंधित है, जिसमें हमीरपुर में नगर निगम के ठोस कचरे के अनियंत्रित ढेर से उत्पन्न हो रहे पर्यावरणीय खतरों को उजागर किया गया है।