हरपाल कौर: पंजाब की पहली महिला वेल्डर की प्रेरणादायक कहानी

हरपाल कौर की प्रेरणादायक यात्रा
हरपाल कौर की कहानी: एक संघर्ष और सफलता की मिसाल (पंजाब की पहली महिला वेल्डर) हरपाल कौर की कहानी केवल एक महिला की नहीं है, बल्कि यह उस अदम्य साहस की है जो विपरीत परिस्थितियों का सामना कर अपनी पहचान बनाता है। जालंधर के निकट स्थित गुरा गांव की निवासी हरपाल की शादी केवल 20 वर्ष की आयु में हुई थी। ससुराल में समस्याओं के बाद, वह अपने पिता के पास लौट आईं, अपने नौ वर्षीय बेटे के साथ।
घर में तीन अविवाहित बहनें थीं और तलाक का मामला चल रहा था। रोज़ाना तानों का सामना करना और आर्थिक रूप से पिता पर निर्भर रहना—इन सभी ने उन्हें आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी।
वेल्डिंग के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाना
हरपाल के पिता की दुकान पर कृषि उपकरणों की वेल्डिंग का काम होता था। उन्होंने अपने पिता से कहा कि वे मजदूर की जगह खुद काम करेंगी। उन्होंने ₹300 प्रतिदिन पर काम करना शुरू किया। वेल्डिंग की तेज़ रोशनी से उनकी आंखों में जलन होती थी और हाथ काले पड़ जाते थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
धीरे-धीरे उनकी मेहनत और सफाई ने उन्हें (महिला वेल्डर भारत) के रूप में पहचान दिलाई। कई लड़कियां काम सीखने आईं, लेकिन मेहनत देखकर लौट गईं। हरपाल सुबह सबसे पहले और शाम को सबसे बाद तक काम करतीं। उन्होंने अपने पिता को दोगुना काम दिया, वो भी बिना किसी शिकायत के।
सोशल मीडिया पर मिली पहचान, लेकिन जड़ों से जुड़ी रहीं
जब उनकी कहानी लोगों तक पहुंची, एक पंजाबी चैनल ने उनका इंटरव्यू लिया। इसके बाद (ब्राउन कुड़ी चैनल) इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल हो गया। आज उनके लाखों फॉलोअर्स हैं। इंग्लैंड, कनाडा और यूरोप से रिश्ते आने लगे, लेकिन हरपाल ने कहा—“मैं अपनी मिट्टी में रहकर ही काम करूंगी।”
उनकी मेहनत से पिता का कारोबार कई गुना बढ़ गया है। छोटी बहन की शादी हो चुकी है, एक पंजाब पुलिस में है और सबसे छोटी बहन दुकान पर उनके साथ काम करती है। हरपाल का खुद का बैंक अकाउंट है, पैसा है, पहचान है, लेकिन वह आज भी रोज़ वेल्डिंग करती हैं।