हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में भगदड़: 6 श्रद्धालुओं की जान गई, 28 घायल

मनसा देवी मंदिर में भीड़ का हादसा
रविवार को हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में भारी भीड़ के कारण भगदड़ की घटना हुई, जिसमें 6 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई और 28 अन्य घायल हो गए। यह घटना उस समय हुई जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे थे। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, संकरी चढ़ाई, अचानक उमड़ी भीड़ और करंट फैलने की अफवाह ने इस स्थिति को जन्म दिया।
चश्मदीदों की गवाही
सरकारी अस्पताल में भर्ती श्रद्धालु निर्मला देवी ने बताया कि चढ़ाई और उतराई करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ एक ही रास्ते से गुजर रही थी। उन्होंने कहा, "जब लौट रहे श्रद्धालुओं ने चढ़ाई कर रहे लोगों को धक्का देना शुरू किया, तो संतुलन बिगड़ गया और लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया, मैं जमीन पर गिर गई और वहीं पड़ी रही।"
मंदिर का स्थान और पहुंचने के रास्ते
मनसा देवी मंदिर शिवालिक पहाड़ियों पर स्थित है, जो समुद्र तल से लगभग 500 फीट की ऊंचाई पर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए तीन मुख्य रास्ते हैं:
1. सड़क मार्ग, जो मोटर गाड़ियों के लिए है
2. रोपवे, जिसे ट्रॉली सेवा कहा जाता है
3. सीढ़ी वाला मार्ग, जो हर की पौड़ी से शुरू होता है। यह रास्ता काफी संकरा है और एक तरफ गहरी खाई तथा दूसरी ओर घनी झाड़ियां हैं।
भगदड़ सीढ़ी वाले रास्ते पर मची, जहां दर्शन करके लौट रहे श्रद्धालुओं की भीड़ बहुत अधिक थी और चलना मुश्किल हो रहा था।
अफवाहों ने बढ़ाई भगदड़ की स्थिति
कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रास्ते में लगे बिजली मीटर के पास शॉर्ट सर्किट हुआ, जिससे चिंगारी निकली। इसी दौरान अफवाह फैली कि रास्ते में करंट दौड़ गया है। इससे लोग घबरा गए और भागने लगे, जिसके कारण भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हुई। यह अफवाह बाद में झूठी साबित हुई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
स्थानीय लोगों का प्रशासन पर आरोप
स्थानीय निवासी अजय जायसवाल ने कहा कि सावन का महीना और रविवार होने के कारण भीड़ बहुत अधिक थी, फिर भी प्रशासन ने कोई विशेष प्रबंध नहीं किए। उन्होंने कहा, "हरिद्वार में हर दिन हजारों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन मनसा देवी जैसे प्रमुख स्थानों पर भीड़ नियंत्रण के कोई उपाय नहीं थे।"
कांवड़ यात्रा का प्रभाव
चार दिन पहले समाप्त हुई कांवड़ यात्रा के दौरान प्रशासन के अनुसार 4.5 करोड़ श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे थे। चूंकि उसी सप्ताह रविवार था, बड़ी संख्या में लोग रुके रहे और उन्होंने मनसा देवी मंदिर के दर्शन का निर्णय लिया। इस कारण भीड़ पहले से अधिक बढ़ गई और नियंत्रण से बाहर हो गई।