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हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में भगदड़: जानें इस ऐतिहासिक स्थल का महत्व

हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में हाल ही में हुई भगदड़ ने देश को झकझोर दिया है, जिसमें कई लोगों की जान गई है। इस घटना ने मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। जानें इस मंदिर का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष है। मनसा देवी की पूजा और उनकी पौराणिक कथाएं इस मंदिर को और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं।
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हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में भगदड़: जानें इस ऐतिहासिक स्थल का महत्व

मनसा देवी मंदिर में मची भगदड़

Mansa Devi Temple: हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार, 27 जुलाई को हुई भगदड़ ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस घटना में छह लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई श्रद्धालु घायल हुए हैं। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि मंदिर के मार्ग पर लगभग 100 मीटर नीचे सीढ़ियों के पास बिजली के झटके की अफवाह फैलने से भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हुई।


मनसा देवी मंदिर का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व

इस हादसे ने न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी जानने की जिज्ञासा पैदा की है कि इस मंदिर में रोजाना हजारों श्रद्धालु क्यों आते हैं। मनसा देवी मंदिर, जो शिवालिक पहाड़ियों पर स्थित है, उत्तराखंड और हरिद्वार का एक प्रमुख सिद्धपीठ है। यह हरिद्वार के पंच तीर्थों में से एक है और चंडी देवी तथा माया देवी मंदिरों के साथ त्रिकाल यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मंदिर देवी मनसा को समर्पित है, जिनकी उत्पत्ति भगवान शिव के मन से मानी जाती है। मनसा का अर्थ है इच्छा, इसलिए यह मंदिर इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। श्रद्धालु यहां संतान, समृद्धि और सांपों से सुरक्षा की कामना लेकर आते हैं। देवी मनसा को नागराज वासुकी की बहन भी माना जाता है, जिससे उनका संबंध नागपूजन से भी जुड़ता है।


पौराणिक कथा और मंदिर की स्थापना

कई लोककथाओं के अनुसार, हरिद्वार के स्थानीय निवासियों ने देखा कि एक गाय प्रतिदिन एक विशेष स्थान पर जाकर तीन पत्थरों पर दूध चढ़ा रही थी। बाद में यह समझा गया कि ये पत्थर देवी सती के भ्रूमध्य से जुड़े हैं और वहां देवी मनसा का प्रकट रूप है। इस अलौकिक संकेत को समझते हुए मणिमाजरा के महाराजा गोपाल सिंह ने 1811 से 1815 के बीच इस मंदिर का निर्माण करवाया।


मनोकामनाओं की परंपरा

मंदिर परिसर में एक विशेष पवित्र वृक्ष है, जिसकी शाखाओं पर श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए धागा बांधते हैं। जब उनकी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं, तो वे लौटकर आकर वही धागा खोलते हैं। मंदिर के गर्भगृह में देवी की दो मूर्तियां स्थापित हैं, एक में आठ भुजाओं वाली देवी और दूसरी में तीन सिर और पांच भुजाओं वाला रूप है।


वास्तुकला और आध्यात्मिक अनुभव

मनसा देवी मंदिर की वास्तुकला में पारंपरिक हिंदू शैली के साथ स्थानीय प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। यहां पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं: 1.5 किमी की पैदल चढ़ाई या मनसा देवी उदन खटोला, यानी रोपवे का रोमांचक सफर, जो हरिद्वार और गंगा के मैदानों का अद्भुत नजारा पेश करता है।


मनसा देवी मंदिर कैसे पहुंचे?

  • हवाई मार्ग से: सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (DED) है, जो हरिद्वार से लगभग 35-45 किमी दूर स्थित है। वहां से टैक्सी या बस से आसानी से हरिद्वार पहुंचा जा सकता है.

  • रेल मार्ग से: हरिद्वार जंक्शन (HW) देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। यह सबसे लोकप्रिय और सुविधाजनक विकल्प है.

  • सड़क मार्ग से: दिल्ली, देहरादून, ऋषिकेश, मेरठ आदि शहरों से हरिद्वार सड़क मार्ग से भी सरलता से पहुंचा जा सकता है.