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हरियाणा अनुबंध शिक्षकों की सेवाएं 30 जून के बाद समाप्त

हरियाणा सरकार ने अनुबंध शिक्षकों की सेवाएं 30 जून के बाद समाप्त करने का निर्णय लिया है, जिससे शिक्षकों की नौकरी पर संकट उत्पन्न हो गया है। पहले इनका अनुबंध बढ़ाने का विचार था, लेकिन अब शिक्षा विभाग ने इसे वापस ले लिया है। यह निर्णय न केवल शिक्षकों के लिए, बल्कि सरकारी स्कूलों की शिक्षा प्रणाली के लिए भी चिंताजनक है। शिक्षकों में नाराजगी है और वे इसे अपनी मेहनत का अपमान मानते हैं। सरकार से पुनर्विचार की मांग उठाई जा रही है।
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हरियाणा अनुबंध शिक्षकों की सेवाएं 30 जून के बाद समाप्त

हरियाणा अनुबंध शिक्षकों के लिए बुरी खबर

हरियाणा के अनुबंध शिक्षकों के लिए एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है। राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों में कार्यरत TGT, कला शिक्षकों और शारीरिक शिक्षा सहायकों की सेवाएं 30 जून के बाद समाप्त करने का निर्णय लिया है।


पहले इन शिक्षकों का अनुबंध एक वर्ष के लिए बढ़ाने का विचार किया गया था, लेकिन अब शिक्षा विभाग ने इस निर्णय को वापस ले लिया है। गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूल खुलने पर ये शिक्षक छात्रों को पढ़ाने में असमर्थ होंगे। यह निर्णय शिक्षकों की नौकरी की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।


अनुबंध समाप्ति का आदेश

मौलिक शिक्षा महानिदेशक ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि 30 जून के बाद सरप्लस घोषित TGT, कला शिक्षकों और शारीरिक शिक्षा सहायकों की सेवाएं समाप्त कर दी जाएं।


यह निर्णय वित्त विभाग की आपत्तियों के बाद लिया गया है। पहले 28 अप्रैल को सरकार ने 679 TGT शिक्षकों को स्कूलों में समायोजित कर अनुबंध को 31 मार्च 2026 तक बढ़ाने का निर्णय लिया था, लेकिन अब यह निर्णय बदल गया है। यह अनुबंधित शिक्षकों के लिए एक बड़ा झटका है।


वित्त विभाग की आपत्ति

वित्त विभाग ने अनुबंधित शिक्षकों के अनुबंध को सीधे एक वर्ष के लिए बढ़ाने पर सवाल उठाए। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी के आदेशों में हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN) के कर्मचारियों का अनुबंध केवल 30 जून तक बढ़ाने का निर्देश दिया गया था। इस आपत्ति के कारण शिक्षा विभाग ने अनुबंध विस्तार को सीमित कर दिया।


शिक्षकों और शिक्षा पर असर

यह निर्णय न केवल शिक्षकों के लिए, बल्कि सरकारी स्कूलों की शिक्षा प्रणाली के लिए भी चिंताजनक है। अनुबंधित शिक्षक लंबे समय से स्कूलों में पढ़ा रहे थे, और उनकी सेवाएं समाप्त होने से शिक्षकों की कमी हो सकती है।


शिक्षक समुदाय में इस निर्णय को लेकर नाराजगी है। कई शिक्षक इसे उनकी मेहनत का अपमान मानते हैं। यह कदम उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित करेगा। सरकार से इस पर पुनर्विचार की मांग उठाई जा रही है।