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हरियाणा की नूपुर श्योराण ने कजाकिस्तान में जीता स्वर्ण पदक

हरियाणा की नूपुर श्योराण ने कजाकिस्तान में आयोजित विश्व बॉक्सिंग कप में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। उनकी यह उपलब्धि न केवल हरियाणा बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। नूपुर की प्रेरक कहानी और उनके दादा की खेल विरासत ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया है। जानें कैसे नूपुर ने अपनी मेहनत और लगन से यह सफलता हासिल की।
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हरियाणा की नूपुर श्योराण ने कजाकिस्तान में जीता स्वर्ण पदक

नूपुर श्योराण का स्वर्णिम सफर

Nupur Shyoran Gold Medal: हरियाणा की बेटी ने कजाकिस्तान में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया: नूपुर श्योराण ने गोल्ड मेडल (Nupur Shyoran Gold Medal) जीतकर यह साबित कर दिया है कि मेहनत और समर्पण से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।


चरखी दादरी के उमरवास गांव की नूपुर ने कजाकिस्तान में आयोजित विश्व बॉक्सिंग कप (World Boxing Cup) में स्वर्ण पदक हासिल कर देश का नाम रोशन किया। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल हरियाणा बल्कि पूरे भारत को गर्व से भर दिया। आइए, नूपुर की प्रेरणादायक कहानी और उनके परिवार की खेल विरासत के बारे में जानते हैं।


स्वर्णिम जीत: कजाकिस्तान में नूपुर का डंका

कजाकिस्तान की राजधानी अस्थाना में हुए विश्व बॉक्सिंग कप में नूपुर ने 80 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व किया। फाइनल में उन्होंने कजाकिस्तान की मुक्केबाज को 5-0 से हराकर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया।


उनकी तेज रणनीति और आत्मविश्वास ने इस जीत को और भी खास बना दिया। नूपुर की इस उपलब्धि ने स्थानीय समुदाय में खुशी की लहर दौड़ा दी। बाढ़ड़ा की पूर्व विधायिका नैना चौटाला सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें बधाई दी। नूपुर के माता-पिता ने कहा, “हमारी बेटी ने हमें गर्व से सिर ऊंचा किया है।” यह जीत हरियाणा के युवाओं के लिए प्रेरणा है।


खेल की विरासत: दादा हवासिंह की प्रेरणा

नूपुर श्योराण कोई साधारण खिलाड़ी नहीं हैं, बल्कि द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता स्वर्गीय कैप्टन हवासिंह श्योराण की पोती हैं। उनके दादा भारतीय हैवीवेट मुक्केबाजी के दिग्गज थे। हवासिंह ने 1966 और 1970 के एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीते और 11 बार राष्ट्रीय चैंपियन रहे।


नूपुर ने अपने दादा की विरासत को आगे बढ़ाते हुए यह साबित किया कि खेल उनके खून में है। उनकी मेहनत और दादा की प्रेरणा ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। यह कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणादायक है जो बड़े सपने देखता है।


हरियाणा का गौरव: भविष्य की उम्मीद

नूपुर की इस जीत ने हरियाणा की खेल प्रतिभा को एक बार फिर वैश्विक मंच पर स्थापित किया। उनकी उपलब्धि से स्थानीय युवा प्रेरित हो रहे हैं। नूपुर का कहना है, “मैं अपने देश और परिवार के लिए और मेहनत करूंगी।” उनकी जीत न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह दर्शाती है कि सही मार्गदर्शन और मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।


हरियाणा सरकार और खेल संगठन भी ऐसी प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठा रहे हैं। नूपुर श्योराण गोल्ड मेडल की यह कहानी हर भारतीय के लिए गर्व का पल है।