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हरियाणा की पूनिया खाप द्वारा सम्मानित की जाएंगी पहली महिला फाइटर पायलट आस्था पूनिया

हरियाणा की पूनिया खाप ने घोषणा की है कि वे देश की पहली महिला फाइटर पायलट आस्था पूनिया को सम्मानित करेंगी। आस्था ने भारतीय नौसेना में विंग्स ऑफ गोल्ड सम्मान प्राप्त किया है। उनके पूर्वजों का इतिहास और आस्था के परिवार के बारे में जानें। यह कहानी न केवल आस्था की उपलब्धियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे एक छोटे से गांव की बेटी ने अपने सपनों को साकार किया।
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हरियाणा की पूनिया खाप द्वारा सम्मानित की जाएंगी पहली महिला फाइटर पायलट आस्था पूनिया

पूनिया खाप का सम्मान समारोह


हरियाणा की पूनिया खाप द्वारा आस्था पूनिया को सम्मानित किया जाएगा। अखिल भारतीय सर्वजातीय पूनिया खाप के हरियाणा प्रधान शमशेर सिंह ने यह घोषणा की है कि आस्था को पूनिया रत्न अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। शमशेर ने बताया कि आस्था के पूर्वज हिसार के लाडवा से उत्तर प्रदेश में बस गए थे। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में पूनिया गोत्र के पांच गांव हैं, जिसका उल्लेख एक कुर्सीनामा में किया गया है।


शमशेर ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनके गांव की बेटी ने यह उपलब्धि हासिल की है। आस्था पूनिया भारतीय नौसेना की पहली महिला फाइटर पायलट हैं, जिन्हें विंग्स ऑफ गोल्ड सम्मान प्राप्त हुआ है। उनके माता-पिता सरकारी शिक्षक हैं।


आस्था के पूर्वजों का इतिहास

आस्था के दादा बुद्ध सिंह चौधरी ने बताया कि उनका पैतृक गांव हिसार का लाडवा है। इसके बाद उनके पूर्वज भिवानी के गांव मंधाना चले गए और फिर उत्तर प्रदेश आ गए। अब लाडवा में उनका कोई परिवार नहीं रह गया है।


आस्था बचपन से ही होशियार थीं। जब वह गांव आती थीं, तो सेना के बारे में मुझसे सवाल करती थीं। आसमान में उड़ते हुए हवाई जहाजों को देखकर वह कहती थीं कि एक दिन वह भी पायलट बनेंगी। आज उन्होंने अपने सपने को साकार कर लिया है।


सम्मान समारोह का आयोजन

जुलाई में विशाखापट्टनम में आईएनएस डेगा में द्वितीय बेसिक हाक कन्वर्जन कोर्स का समापन हुआ, जहां आस्था को विंग्स ऑफ गोल्ड सम्मान से नवाजा गया। यह सम्मान रियर एडमिरल जनक बेवली ने प्रदान किया। यह विशेष सम्मान केवल नौसेना के लड़ाकू विमानों के पायलटों को दिया जाता है।


परिवार का समर्थन

आस्था का एक छोटा भाई भी है, जो सेना में जाने की तैयारी कर रहा है। उनका परिवार पिछले 12 वर्षों से मुजफ्फरनगर में रह रहा है। आस्था का सपना हमेशा से भारतीय नौसेना में जाने का था, जिसके लिए उन्होंने एक मल्टीनेशनल कंपनी में 21 लाख रुपये के पैकेज को ठुकरा दिया।


पैतृक गांव का इतिहास

लाडवा गांव में मौजूद कुर्सीनामा के अनुसार, नेता पूनिया ने इस गांव को बसाया था। उनके वंशज जलिया पूनिया और फिर कलिया हुए। कलिया के दो बेटे हुए, फेरन और जब्दर। फेरन के तीन बेटे हुए, सरिया, जालब, और पुसा। पुसा का बेटा रावल था, जो लाडवा से उत्तर प्रदेश गए और वहां नेक गांव में बस गए।