Newzfatafatlogo

हरियाणा के IPS अधिकारी की आत्महत्या: क्या है इसके पीछे का सच?

हरियाणा के वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार ने आत्महत्या कर ली, जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया है। उनके घर से मिले आठ पन्नों के सुसाइड नोट में वरिष्ठ अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह मामला न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष को उजागर करता है, बल्कि पुलिस व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार और विभागीय असंतोष को भी सामने लाता है। जानें इस मामले की गहराई और इसके पीछे के कारणों के बारे में।
 | 
हरियाणा के IPS अधिकारी की आत्महत्या: क्या है इसके पीछे का सच?

हरियाणा के वरिष्ठ IPS अधिकारी का दुखद निधन

हरियाणा IPS अधिकारी आत्महत्या: हरियाणा के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपने निवास पर आत्महत्या कर ली। यह घटना प्रशासन और पुलिस विभाग के लिए एक बड़ा झटका बन गई है। इस समय उनकी पत्नी, जो आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार हैं, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ जापान यात्रा पर थीं। उनके अचानक निधन ने सभी को चौंका दिया है और कई सवाल उठाए हैं।


सुसाइड नोट में गंभीर आरोप

घर से मिला आठ पन्नों का सुसाइड नोट

इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज उनके घर से प्राप्त आठ पन्नों का कथित सुसाइड नोट है। इस नोट में डीजीपी, एडीजीपी और एसपी रैंक के दस वरिष्ठ अधिकारियों पर गंभीर मानसिक उत्पीड़न और प्रताड़ना के आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि उन्हें लगातार मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा था और उनके करियर को नुकसान पहुंचाने की साजिश की जा रही थी। सूत्रों के अनुसार, सुसाइड नोट में जिन अधिकारियों का नाम लिया गया है, उनमें कुछ पूर्व और वर्तमान डीजीपी भी शामिल हैं। हालांकि, पुलिस ने अभी तक किसी का नाम सार्वजनिक नहीं किया है। यह मामला उस रोहतक भ्रष्टाचार प्रकरण से जुड़ा हुआ माना जा रहा है, जिसकी जांच उन्होंने स्वयं शुरू की थी।


आईपीएस अधिकारी का करियर

2001 बैच के आईपीएस अधिकारी

वाई पूरन कुमार 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। हाल ही में उनका तबादला रोहतक के सुनारिया पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में हुआ था, जहां उन्होंने पदभार संभालने से पहले सात दिन की छुट्टी ली थी। इसी दौरान उन्होंने यह दुखद कदम उठाया। अपने पूरे करियर में वे निडर और निष्पक्ष अधिकारी माने जाते थे। कई बार उन्होंने विभागीय नीतियों और सरकार के खिलाफ आवाज उठाई। यह उनकी बहादुरी और ईमानदारी का परिचायक था।


पदोन्नति में नियमों की अनदेखी

पदोन्नति देते समय नियमों की अनदेखी

पिछले वर्ष वाई पूरन कुमार ने हरियाणा में आईपीएस अधिकारियों के प्रमोशन प्रक्रिया को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए थे। उनका आरोप था कि 1991, 1996, 1997 और 2005 बैच के अधिकारियों को पदोन्नति देते समय नियमों की अनदेखी की गई। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर वित्त विभाग द्वारा गृह विभाग के प्रावधानों की अनदेखी पर आपत्ति जताई। इसके अलावा, उन्होंने अपने प्रमोशन और वेतन पुनर्निर्धारण की भी मांग की थी, जो उनके विभाग के साथ उनके मतभेद को दर्शाता है।


विभागीय असंतोष का संकेत

अन्य अधिकारियों को नई गाड़ियां

पूरे विवाद में यह भी सामने आया कि उन्होंने विभाग द्वारा दी गई पुरानी होंडा सिटी कार को वापस लौटा दिया था, क्योंकि अन्य अधिकारियों को नई इनोवा क्रिस्टा गाड़ियां प्रदान की गई थीं। यह उनके असंतोष का एक संकेत था। साथ ही उन्होंने उन अधिकारियों के खिलाफ भी आवाज उठाई थी जो सरकारी आवासों पर अवैध कब्जा किए हुए थे। वे "एक अधिकारी-एक आवास" की नीति लागू करने के लिए भी लगातार संघर्ष करते रहे।


मानसिक उत्पीड़न का सामना

मानसिक उत्पीड़न का सामना कर रहे थे IPS पूरन

सुसाइड नोट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि वाई पूरन कुमार को मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। वरिष्ठ अधिकारियों की साजिशों और मानसिक दबाव के कारण वे इस कद्र परेशान थे कि उन्होंने इस प्रकार का कदम उठाया। यह उनके परिवार और प्रशासन दोनों के लिए एक गंभीर संदेश है कि अधिकारी अपने कर्तव्यों के बीच किस तरह के मानसिक और प्रशासनिक दबाव झेल रहे हैं।


पूरे मामले की जांच की आवश्यकता

पूरन की आत्महत्या ने कई सवाल खड़े किए

वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने हरियाणा पुलिस और प्रशासन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष को उजागर करता है, बल्कि पुलिस व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार, मानसिक उत्पीड़न और विभागीय असंतोष को भी सामने लाता है। इसके पीछे के कारणों की गहराई से जांच करना और ऐसी परिस्थितियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाना प्रशासन के लिए आवश्यक हो गया है ताकि भविष्य में इस तरह की घटना को रोका जा सके।