हरियाणा के पुलिसकर्मी कांस्टेबल के बेटे के इलाज के लिए देंगे एक दिन का वेतन

हरियाणा के 6 जिलों के पुलिसकर्मी युवांश की मदद के लिए आगे आए
हरियाणा के हिसार में, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 से पीड़ित आठ महीने के बच्चे युवांश की सहायता के लिए राज्य के छह जिलों के पुलिसकर्मी आगे आए हैं। इन पुलिसकर्मियों ने अपने एक दिन के वेतन को युवांश के इलाज के लिए दान करने का निर्णय लिया है। एडीजीपी से लेकर एसपी तक सभी ने इस नेक कार्य के लिए पत्र लिखा है। युवांश को 14 करोड़ 50 लाख रुपये का एक विशेष इंजेक्शन लगवाना है, जो स्विट्जरलैंड से मंगवाया जाएगा। युवांश के पिता फतेहाबाद में कांस्टेबल के रूप में कार्यरत हैं।
इंजेक्शन की आवश्यकता और प्रक्रिया
युवांश के माता-पिता, राजेश और किरण, ने बताया कि उनका बेटा दुनिया की एक गंभीर बीमारी से जूझ रहा है। यह इंजेक्शन स्विट्जरलैंड के जेनेवा से प्राप्त किया जाएगा।
राजेश ने बताया कि अब तक 38 लाख रुपये की राशि एकत्रित की जा चुकी है। पुलिस के अलावा, फूड सप्लाई डिपार्टमेंट के कर्मचारी भी इस मुहिम में सहयोग कर रहे हैं।
युवांश का जन्म और बीमारी का पता
राजेश ने बताया कि उनकी शादी 23 अप्रैल 2023 को हुई थी और युवांश का जन्म 9 अक्टूबर 2024 को हुआ। जब युवांश दो महीने का था, तब वह सामान्य बच्चों की तरह सक्रिय नहीं था।
18 मई को, डॉक्टरों ने युवांश को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 का निदान किया। इसके बाद, उन्हें चंडीगढ़ के पीजीआई या एम्स में इलाज कराने की सलाह दी गई।
बीमारी के प्रभाव और उपचार की आवश्यकता
डॉक्टरों के अनुसार, इस बीमारी में रीढ़ की हड्डी में न्यूरॉन्स नहीं बनते, जिससे शरीर की वृद्धि रुक जाती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह इंजेक्शन 2 साल की उम्र तक लगवाना आवश्यक है, क्योंकि बीमारी तेजी से बढ़ती है।
राजेश की अपील
राजेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नायब सैनी, और अन्य हस्तियों से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने सरकार से यह भी अनुरोध किया है कि जेनेटिक टेस्ट को अनिवार्य किया जाए ताकि समय पर निदान किया जा सके।