हरियाणा के मुख्यमंत्री ने लुधियाना में उद्योगपतियों से की मुलाकात

मुख्यमंत्री का लुधियाना दौरा
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने लुधियाना में औद्योगिक संस्थानों और समाज के बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए कहा कि पंजाब की भूमि हमेशा से गुरुओं, पीरों और वीरों की रही है, जिसने देश को मार्गदर्शन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने यह भी बताया कि पंजाब और हरियाणा मिलकर विकसित भारत की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। इस अवसर पर आल इंडस्ट्रियलिस्ट सोसाइटी, लुधियाना द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया।
मोदी सरकार की नीतियों का प्रभाव
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में देश ने विकास की नई ऊंचाइयों को छुआ है। धारा 370 की समाप्ति, जम्मू-कश्मीर में शांति की बहाली और किसानों को एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी जैसे ऐतिहासिक निर्णयों ने देश की एकता और विकास को मजबूती प्रदान की है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार की योजनाओं से समाज के हर वर्ग को लाभ मिला है। विपक्षी दलों पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वे संविधान के नाम पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
हरियाणा का औद्योगिक मॉडल
मुख्यमंत्री ने बताया कि हरियाणा में उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए सभी आवश्यक अनुमतियां और सुविधाएं एक छत के नीचे उपलब्ध कराई जा रही हैं। बजट में 10 जिलों में नए IMT की घोषणा की गई है और 15 दिन के भीतर NOC जारी करने की प्रक्रिया बनाई गई है। उद्योगपतियों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता पर किया जा रहा है ताकि औद्योगिक विकास को गति मिल सके।
जनकल्याण योजनाओं का लाभ
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में डेढ़ करोड़ से अधिक आयुष्मान और चिरायु कार्ड बनाए जा चुके हैं। इन कार्डों के माध्यम से 22 लाख से अधिक नागरिकों को मुफ्त इलाज मिल चुका है, जिसमें सरकार ने ढाई हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को 10 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा भी दी जा रही है। उज्ज्वला योजना के तहत 13 लाख से अधिक महिलाओं को मुफ्त गैस सिलेंडर प्रदान किए गए हैं।
उद्योगपतियों के सुझावों का सम्मान
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में उन्होंने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के उद्योगपतियों से मुलाकात की थी और उनकी सरकार ने उनके सुझावों को गंभीरता से लिया है। सरकार का उद्देश्य है कि औद्योगिक विकास में उद्योगपतियों की भागीदारी सुनिश्चित हो और उनकी आवश्यकताओं के अनुसार नीतियां बनाई जाएं।