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हरियाणा पुलिस ने 11 साल बाद परिवार से मिलवाया अशोक कुमार

हरियाणा की मानव तस्कर विरोधी इकाई ने 11 साल बाद अशोक कुमार को उसके परिवार से मिलवाने में सफलता हासिल की। अशोक की कहानी मानसिक परेशानी और संघर्ष से भरी हुई है। जानिए कैसे उसने अपने परिवार से पुनर्मिलन किया और इस प्रक्रिया में पुलिस की भूमिका क्या रही। यह कहानी न केवल दिल को छूने वाली है, बल्कि यह 'मिशन मुस्कान' की सफलता को भी दर्शाती है।
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हरियाणा पुलिस ने 11 साल बाद परिवार से मिलवाया अशोक कुमार

हरियाणा पुलिस की मानव तस्कर विरोधी इकाई की सफलता


  • एएसआई ने वीडियो कॉल के माध्यम से करवाई पहचान, परिवार ने अशोक के जिंदा होने की उम्मीद छोड़ दी थी।


जींद: हरियाणा की राज्य अपराध शाखा की मानव तस्कर विरोधी इकाई ने मध्य प्रदेश से बिछड़े एक व्यक्ति को 11 साल बाद उसके परिवार से मिलवाया। एएसआई संदीप और उनकी टीम ने 37 वर्षीय अशोक कुमार को उसके परिजनों के सुपुर्द किया। हरियाणा पुलिस 'मिशन मुस्कान' के तहत बिछड़े लोगों को उनके परिवार से मिलाने का कार्य कर रही है।


अशोक की दुखद कहानी

एएसआई संदीप ने बताया कि अशोक की पिछले 11 वर्षों की कहानी बेहद दुखद और संघर्षपूर्ण है। उसके छोटे भाई शोभा राम ने बताया कि अशोक 25 अगस्त 2014 को मानसिक परेशानी के चलते अचानक घर से निकल गया था। उस समय उसकी उम्र लगभग 26 वर्ष थी।


गुमशुदगी की रिपोर्ट

परिवार ने एक महीने तक उसे आसपास के गांवों और रिश्तेदारों में खोजा, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। उसकी मां ने 22 सितंबर को थाना भानगढ़ में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई और फिर थक कर घर बैठ गई। मानसिक परेशानी के कारण अशोक ने 2015 में दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर पुलिस को अपनी स्थिति बताई।


इलाज और पहचान की कोशिश

अशोक को दिल्ली में एक सामाजिक संस्था को सौंपा गया, जहां वह तीन साल तक रहा। 2018 में वह वहां से भी निकल गया और बाद में रोहतक पीजीआई में गंभीर हालत में मिला। जन सेवा संस्थान ने उसका इलाज करवाया और वह वहां पांच साल तक रहा। हाल ही में उसकी मानसिक स्थिति में सुधार हुआ, जिससे उसने अपना गांव बताया।


परिवार से पुनर्मिलन

एएसआई संदीप ने वीडियो कॉल के जरिए अशोक की बात उसके भाई और मां से करवाई, जिससे उन्होंने एक-दूसरे को पहचान लिया। 11 साल बाद मिलन की खुशी उनके चेहरों पर स्पष्ट थी, जो 'मिशन मुस्कान' की सफलता को दर्शाता है।