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हरियाणा में 72 करोड़ रुपये के वैट रिफंड घोटाले में दो पूर्व अधिकारियों की गिरफ्तारी

हरियाणा में 72 करोड़ रुपये के वैट रिफंड घोटाले में दो पूर्व अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई है। प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि इन अधिकारियों ने फर्जी दावों के जरिए सार्वजनिक धन की हेराफेरी की। जांच में यह भी सामने आया है कि कई अनधिकृत वित्तीय लेन-देन किए गए थे। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की साजिश के बारे में।
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हरियाणा में 72 करोड़ रुपये के वैट रिफंड घोटाले में दो पूर्व अधिकारियों की गिरफ्तारी

हरियाणा में बड़ा घोटाला

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) से जुड़े 72 करोड़ रुपये के वैट रिफंड घोटाले के मामले में दो पूर्व अधिकारियों, सुनील कुमार बंसल और रामनिवास सुरजाखेड़ा को गिरफ्तार किया है।


यह गिरफ्तारी HSVP के पूर्व मुख्य लेखा अधिकारी चमन लाल द्वारा मार्च 2023 में दर्ज की गई एफआईआर के बाद की गई है। इस शिकायत में 2015 से 2019 के बीच HSVP के पंजाब नेशनल बैंक, चंडीगढ़ के खाते से हुए अनधिकृत वित्तीय लेन-देन का उल्लेख किया गया था। आरोप है कि बिना किसी वैध कारण के लगभग 72 करोड़ रुपये विभिन्न पक्षों को हस्तांतरित किए गए।


आरोपों का विवरण


ईडी ने दोनों आरोपियों को पंचकूला के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश किया, जहां उन्हें पांच दिन की हिरासत में भेज दिया गया। जांचकर्ताओं का कहना है कि एचएसवीपी अधिकारियों और निजी बिल्डरों के बीच मिलीभगत से एक व्यापक साजिश रची गई थी, जिसके तहत फर्जी वैट रिफंड दावों के माध्यम से सार्वजनिक धन की हेराफेरी की गई।


ईडी के अनुसार, बंसल ने विभिन्न खातों में भुगतान के लिए कम से कम 50 ईमेल भेजकर अपने आधिकारिक अधिकार का दुरुपयोग किया। यह भी पता चला कि ये खाते लगभग 18 व्यक्तियों के थे, जिनमें बिल्डर और आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के लोग शामिल थे, जिनमें से कुछ को अपनी पहचान के दुरुपयोग का पता ही नहीं था।


यह कथित घोटाला गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, रेवाड़ी, करनाल, पंचकूला और हिसार जैसे कई शहरों में फैला हुआ है, जिसमें गुरुग्राम में धोखाधड़ी की सबसे अधिक गतिविधि देखी गई है। लैवी नामक एक बिल्डर इस क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में उभरा है, जो कथित तौर पर कम मूल्य वाले भूमि भूखंडों तक अंदरूनी पहुंच का लाभ उठाता है, जिसे बाद में बढ़ी हुई दरों पर बेचा जाता है।


धनराशि का गलत इस्तेमाल


तत्कालीन मुख्य प्रशासक अजीत बालाजी जोशी द्वारा शुरू की गई एचएसवीपी की आंतरिक जांच में यह पाया गया कि गलत तरीके से इस्तेमाल की गई धनराशि उन व्यक्तियों को हस्तांतरित की गई थी जिनके दस्तावेज आधिकारिक रिकॉर्ड से गायब थे। जांच में यह भी सामने आया कि शामिल खातों में से एक एचएसवीपी की नकदी और आईटी शाखाओं में अपंजीकृत था, जो जानबूझकर छिपाने का संकेत देता है। ईडी ने अब तक तीन प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर जारी किए हैं, जिसमें 21 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है, जिसमें से 18.06 करोड़ रुपये की संपत्ति की पुष्टि पहले ही नई दिल्ली में पीएमएलए के तहत एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी द्वारा की जा चुकी है। प्रारंभिक निष्कर्षों से यह पता चलता है कि गबन की गई कुल राशि वर्तमान में जांच के तहत 72 करोड़ रुपये से दो से तीन गुना हो सकती है.