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हरियाणा में CET बस सेवा विवाद: क्या मुफ्त यात्रा बन गई है समस्या?

हरियाणा में कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) के लिए मुफ्त बस सेवा विवाद का कारण बन गई है। जनहित याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट में इस व्यवस्था पर सवाल उठाए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि यह आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रही है। याचिकाकर्ता ने चिंता जताई है कि परीक्षा के दौरान बसों का आरक्षण अन्य यात्रियों के लिए असुविधा पैदा कर सकता है। आज की सुनवाई इस मामले में महत्वपूर्ण मोड़ ला सकती है। क्या अदालत सरकार को आम जनता की सुविधा बनाए रखने का निर्देश देगी? जानें पूरी कहानी में।
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हरियाणा में CET बस सेवा विवाद: क्या मुफ्त यात्रा बन गई है समस्या?

हरियाणा में CET बस सेवा का विवाद

हरियाणा में CET बस सेवा विवाद: क्या मुफ्त यात्रा बन गई है समस्या? हरियाणा में 26 और 27 जुलाई को आयोजित होने वाले कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) के लिए सरकार द्वारा प्रदान की जा रही मुफ्त बस सेवा अब विवाद का विषय बन गई है। इस व्यवस्था को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है।


याचिकाकर्ता का कहना है कि CET के उम्मीदवारों को दी गई यह विशेष बस सेवा आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है। विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो रोजाना इन बसों पर निर्भर हैं, जैसे कि छात्र, कर्मचारी, बुजुर्ग और श्रमिक वर्ग। याचिका में यह चिंता व्यक्त की गई है कि अधिकांश (Haryana Roadways buses) परीक्षा ड्यूटी में लगने से अन्य यात्रियों को गंभीर असुविधा हो सकती है।


हाईकोर्ट में सुनवाई से पहले विवाद ने पकड़ा जोर


आज हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है, जो (Haryana High Court CET case) को एक महत्वपूर्ण मोड़ दे सकती है। जनहित याचिका में यह मांग की गई है कि सरकार न्यूनतम परिवहन सेवाएं जारी रखे, ताकि आम जनता के लिए आवागमन बाधित न हो।


साथ ही, एक विशेष संचार और आपातकालीन तंत्र बनाने का भी अनुरोध किया गया है, जिससे यात्रियों को बसों की उपलब्धता और वैकल्पिक रूट के बारे में जानकारी मिल सके। याचिकाकर्ता का आरोप है कि सरकार ने (CET candidates bus service) की घोषणा तो कर दी, लेकिन आम नागरिकों के हितों के लिए कोई वैकल्पिक योजना नहीं बनाई गई।


मुफ्त सेवा का लाभ बन सकता है लाखों के लिए संकट


(Haryana transport emergency) जैसी स्थिति उत्पन्न होने की आशंका जताई जा रही है। परीक्षा के इन दो दिनों में, हजारों बसें उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होने की संभावना है, जिसका असर बाकी नागरिकों की यात्रा पर पड़ सकता है। यह विवाद सार्वजनिक सेवा और नागरिक अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को उजागर करता है।


अब देखना होगा कि अदालत इस मामले में क्या निर्णय लेती है। क्या सरकार को (CET exam transport) के साथ-साथ आम जनता की सुविधा को बनाए रखने के लिए कदम उठाने का निर्देश मिलेगा?