हरियाणा में IPS अधिकारी की आत्महत्या: जातिगत भेदभाव के गंभीर आरोपों ने मचाई हलचल

हरियाणा में IPS अधिकारी की आत्महत्या का मामला
IPS अधिकारी की आत्महत्या: हरियाणा के रोहतक में तैनात 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। 52 वर्षीय इस वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को अपने सरकारी आवास पर अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली। उनके आत्मघाती कदम के पीछे का कारण उनके द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट में स्पष्ट है, जिसमें हरियाणा पुलिस के उच्च अधिकारियों पर जातिगत भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
सुसाइड नोट में हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर, रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया सहित आठ वरिष्ठ अधिकारियों के नाम शामिल हैं। यह मामला केवल एक आत्महत्या नहीं है, बल्कि यह राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था, जातिगत समानता और अधिकारी-कर्मचारी संबंधों की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाता है।
राजनीतिक हलचल और प्रशासनिक कार्रवाई
राजनीतिक तूफान: पूरन कुमार की मौत के बाद प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राज्य सरकार ने शनिवार को कार्रवाई करते हुए रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया को उनके पद से हटा दिया। उनकी जगह आईपीएस अधिकारी सुरिंदर सिंह भोरिया को नियुक्त किया गया है। हालांकि, इस तबादले के आदेश में सीधे तौर पर पूरन कुमार के मामले का उल्लेख नहीं किया गया, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह कदम परिवार की शिकायत और राजनीतिक दबाव के चलते उठाया गया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है।
परिवार की नाराजगी और पोस्टमार्टम का विवाद
परिवार का इनकार: घटना के बाद पूरन कुमार के परिवार ने पोस्टमार्टम की अनुमति देने से मना कर दिया है। उनका आरोप है कि बिना किसी पूर्व सूचना के उनके परिजन के शव को रोहतक के सरकारी अस्पताल से पीजीआईएमईआर ले जाया गया। मृतक के रिश्तेदार और पंजाब के आम आदमी पार्टी विधायक अमित रतन ने इसे अन्याय बताया। वाल्मीकि समाज के नेताओं ने भी प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं और चेतावनी दी है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक शव का पोस्टमार्टम नहीं किया जाएगा।
राजनीतिक समर्थन और सामाजिक दबाव
विपक्ष का समर्थन: इस मामले ने राजनीतिक रूप से भी जोर पकड़ लिया है। पूरन कुमार की पत्नी, जो स्वयं एक आईएएस अधिकारी हैं, को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का समर्थन मिला है। इनमें रणदीप सुरजेवाला, दीपेंद्र हुड्डा और पूर्व पंजाब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी शामिल हैं। सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि यदि एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को न्याय नहीं मिल सकता, तो आम जनता का क्या होगा।
जांच की प्रगति और SIT का गठन
जांच की प्रक्रिया: मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस महानिदेशक सागर प्रीत हुड्डा ने पूरन कुमार के आवास का दौरा किया और परिवार से पोस्टमार्टम के लिए सहमति मांगी। उन्होंने बताया कि एक विशेष बोर्ड का गठन किया गया है जिसमें मजिस्ट्रेट, डॉक्टर और फॉरेंसिक विशेषज्ञ शामिल हैं। शव परीक्षण की वीडियोग्राफी भी की जाएगी, लेकिन यह तभी संभव है जब परिवार सहमत हो।
छह सदस्यीय SIT का गठन: चंडीगढ़ पुलिस ने एक छह सदस्यीय SIT का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता आईजी पुष्पेंद्र कुमार कर रहे हैं। एफआईआर में आत्महत्या के लिए उकसाने और एससी/एसटी एक्ट की धाराएं शामिल की गई हैं। हालांकि, मृतक की पत्नी अमनीत का कहना है कि एफआईआर अधूरी है और सभी आरोपियों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं।