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हरियाणा में अनुबंधित शिक्षकों को स्थायी नौकरी का आश्वासन

हरियाणा सरकार ने राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों में कार्यरत अनुबंधित सहायक प्रोफेसरों को स्थायी नौकरी जैसी सुरक्षा देने का महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह पहल लंबे समय से अस्थिरता का सामना कर रहे शिक्षकों के लिए राहत का संकेत है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे कोर्स की गुणवत्ता और अनुसंधान में सुधार होगा। जानें इस फैसले का महत्व और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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हरियाणा में अनुबंधित शिक्षकों को स्थायी नौकरी का आश्वासन

हरियाणा सरकार का बड़ा कदम

हरियाणा सरकार ने राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों में कार्यरत लगभग 1400 अनुबंधित सहायक प्रोफेसरों को स्थायी नौकरी जैसी सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह पहल लंबे समय से अस्थिरता का सामना कर रहे शिक्षकों के लिए राहत का संकेत है। सूत्रों के अनुसार, फाइल प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है और इसे शीतकालीन विधानसभा सत्र में एक अधिनियम के रूप में पेश किया जा सकता है।


अनुबंधित शिक्षकों की स्थिति

राज्य के विश्वविद्यालयों में अनुबंध पर नियुक्त ये शिक्षक एक दशक से अधिक समय से कम वेतन, बिना भत्तों और अनिश्चित करियर में कार्यरत हैं। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर शिक्षकों को स्थिरता प्रदान करने से कोर्स की गुणवत्ता, अनुसंधान और दीर्घकालिक शिक्षण योजनाओं में सुधार होगा।


हरियाणा में ठेका आधारित रोजगार का इतिहास

हरियाणा में अनुबंध आधारित नियुक्तियों की शुरुआत 2000 के दशक में स्कूलों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए हुई थी। प्रारंभ में इसे अस्थायी व्यवस्था माना गया था, लेकिन यह शिक्षा तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई।


पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में गेस्ट टीचर नीति लागू की गई, लेकिन नियमितीकरण में सफलता नहीं मिली। इसके बाद, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने गेस्ट टीचर्स को 58 वर्ष तक नौकरी सुरक्षा देने वाला कानून पारित किया, जिसे एक ऐतिहासिक कदम माना गया।


मौजूदा सरकार की पहल

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाया है। सरकार ने ठेकेदारी प्रणाली में नियुक्त कर्मचारियों को 5 वर्ष की सेवा के बाद रिटायरमेंट तक नौकरी सुरक्षा देने का कानून लागू किया था। अब इसी मॉडल को विश्वविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों पर लागू करने पर विचार चल रहा है।


कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स का संघर्ष

विश्वविद्यालयों में 2010 से अनुबंधित शिक्षक केवल 300 रुपये प्रति पीरियड और 10,000 रुपये मासिक सीमा जैसी न्यूनतम भुगतान संरचना में कार्य कर रहे थे। 2019 के बाद 7वें वेतन आयोग आधारित संरचना लागू हुई, लेकिन नौकरी की स्थिरता आज तक दूर ही रही।


इस बीच, हाई कोर्ट के निर्देश, शिक्षक संगठनों के आंदोलन और सरकार के आश्वासनों के बाद यह मुद्दा राजनीतिक प्राथमिकता बन गया।


नए अधिनियम में क्या होगा

सूत्रों के अनुसार, प्रस्तावित प्रावधानों में शामिल हैं: 15 अगस्त 2024 तक 5 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले शिक्षक इस लाभ के पात्र होंगे। उन्हें 60 वर्ष या निर्धारित रिटायरमेंट आयु तक कार्य करने का अधिकार मिल सकता है। विश्वविद्यालयों ने पात्र शिक्षकों की सूची सरकार को भेज दी है।


एक वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी के अनुसार, नियमित शिक्षकों जैसी सुरक्षा से विश्वविद्यालयों में शोध और अकादमिक स्थिरता बढ़ेगी।


शिक्षक संगठनों की उम्मीद

हरियाणा यूनिवर्सिटीज कॉन्ट्रैक्चुअल टीचर्स एसोसिएशन (हकूटा) के अध्यक्ष डॉ. विजय मलिक का कहना है कि यह कदम न केवल शिक्षकों के सम्मान को बढ़ाएगा बल्कि राज्य के उच्च शिक्षा ढांचे को भी मजबूत करेगा।


उनके अनुसार, "यह हरियाणा के विश्वविद्यालयों के लिए नए वर्ष का बड़ा बदलाव हो सकता है।"


इस फैसले का महत्व

शिक्षकों के जीवन में स्थिरता, विश्वविद्यालयों में अकादमिक गुणवत्ता में सुधार, प्रतिभा पलायन पर रोक और बेहतर शोध संस्कृति का निर्माण इस फैसले के प्रमुख लाभ हैं।


शिक्षा विश्लेषकों का मानना है कि नौकरी सुरक्षा से लंबे अवधि के शोध प्रोजेक्ट, बेहतर शिक्षण और संस्थानों के प्रति निष्ठा में वृद्धि होगी।