हरियाणा में किसान आंदोलन: गांव-गांव में पुतले जलाने का ऐलान

किसान आंदोलन की फिर से उठी आवाज
हरियाणा में किसान आंदोलन एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है। राज्य के किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं।
पुतले जलाने का कार्यक्रम: किसानों की नाराजगी
पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति ने 11 से 19 जुलाई तक हर गांव में भाजपा सरकार के पुतले जलाने का ऐलान किया है। यह आंदोलन किसानों की नौ मांगों को लेकर है, जो वे लंबे समय से उठाते आ रहे हैं।
किसानों की समस्याएं और संघर्ष
हरियाणा के किसान खेती से जुड़ी कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। समिति के प्रदेशाध्यक्ष मनदीप नथवान ने बताया कि किसानों को खाद, पानी और मुआवजे जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
ट्यूबवेल कनेक्शन के लिए समय पर राशि जमा करने के बावजूद, भ्रष्टाचार के कारण कनेक्शन नहीं मिल रहे हैं, जिससे किसानों में गुस्सा बढ़ रहा है।
आंदोलन की योजना
11 से 19 जुलाई तक हर गांव में सरकार के पुतले जलाए जाएंगे। इसके बाद 21 जुलाई को तहसील और जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर अधिकारियों को मांगपत्र सौंपा जाएगा। यह आंदोलन सरकार को किसानों की समस्याओं की गंभीरता समझाने का प्रयास है। नथवान का कहना है कि सरकार की नीतियां किसान विरोधी हैं।
किसानों की प्रमुख मांगें
किसानों की नौ मांगें स्पष्ट हैं। वे असली डीएपी खाद और नहरों में पर्याप्त पानी की मांग कर रहे हैं।
बिजली बिलों में बढ़ोतरी को वापस लिया जाए, और भिवानी, हिसार, यमुनानगर जैसे जिलों में एचटी लाइनों के लिए उचित मुआवजा मिले। इसके अलावा, नई खेती नीति को रद्द किया जाए।
समाज और सरकार के लिए संदेश
यह किसान आंदोलन हरियाणा के ग्रामीण समाज की समस्याओं को उजागर करता है। किसानों की समस्याओं का समाधान आवश्यक है। यह आंदोलन सरकार को याद दिलाता है कि किसान विरोधी नीतियां लंबे समय तक नहीं चल सकतीं।
पुलिस और प्रशासन को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का सम्मान करना चाहिए। किसानों की मांगों पर गंभीरता से विचार होना चाहिए, ताकि यह आंदोलन सकारात्मक परिणाम दे सके।