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हरियाणा में गन्ने की फसल की सुरक्षा के उपाय

हरियाणा में गन्ने की फसल की सुरक्षा के लिए किसानों को कई महत्वपूर्ण उपायों की जानकारी दी गई है। इस वर्ष गन्ने की अगेती और पछेती किस्मों की बुवाई की गई है, लेकिन बारिश के मौसम में पोक्का बोइंग रोग और चोटी बेधक कीट का खतरा बढ़ गया है। जानें कैसे यूरिया का सही उपयोग करें, पोक्का बोइंग रोग से बचें और चोटी बेधक कीट पर नियंत्रण करें। यह जानकारी किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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हरियाणा में गन्ने की फसल की सुरक्षा के उपाय

गन्ने की फसल की स्थिति

गन्ने की फसल की सुरक्षा, हिसार। हरियाणा में इस वर्ष गन्ने की अगेती किस्मों जैसे सीओ-0238, सीओ 0118, सीओएच 160, सीओ 15023 और मध्यम पछेती किस्मों सीओ 05011, सीओएच 119 की बुवाई की गई है। गन्ना अब फुटाव की अवस्था से आगे बढ़कर पोरी बनने की स्थिति में है। हालांकि, बारिश के मौसम में पोक्का बोइंग रोग और चोटी बेधक कीट का खतरा बढ़ गया है। किसानों को अपनी फसल की नियमित निगरानी करने और समय पर उचित उपाय करने की आवश्यकता है।


भारी बारिश में यूरिया का उपयोग

भारी बारिश में यूरिया का उपयोग

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि भारी बारिश के दौरान खेतों में पानी जमा नहीं होने देना चाहिए। जल निकासी के बाद प्रति एकड़ 25 किलो यूरिया डालें या 2.5% यूरिया का छिड़काव करें। फसल को खरपतवार मुक्त रखना आवश्यक है और पछेती बुवाई में गन्ने को गिरने से बचाने के लिए मिट्टी चढ़ाएं और बंधाई करें।


पोक्का बोइंग रोग से बचाव

पोक्का बोइंग रोग से बचाव

पोक्का बोइंग रोग के लक्षणों में पत्तियों का हल्का पीला होना, धारियां बनना और सिकुड़कर मुड़ जाना शामिल है। यदि ये लक्षण दिखाई दें, तो 0.2% कार्बेन्डाजिम या 0.1% प्रोपिकोनाजोल का छिड़काव करें। चाबुक जैसी संरचना दिखने पर इसे लिफाफे में ढककर काटकर नष्ट करें, ताकि बीजाणु अन्य पौधों को नुकसान न पहुंचा सकें।


चोटी बेधक कीट पर नियंत्रण

चोटी बेधक कीट पर नियंत्रण

हकृवि के रीजनल सेंटर करनाल के निदेशक डॉ. ओपी चौधरी ने बताया कि चोटी बेधक की तितलियां पत्तों की निचली सतह पर अंडे देती हैं। इनसे निकली सुंडियां चोटी में सुरंग बनाकर गोभ को सुखा देती हैं, जिससे पैदावार और चीनी की मात्रा में कमी आती है। प्रकोप का पता लगाने के लिए प्रति एकड़ 4 फेरोमोन पिंजरे लगाएं और अंड-समूहों को पत्ती समेत तोड़कर नष्ट करें।


वैबिंग माइट और ट्राइकोग्रामा का उपयोग

वैबिंग माइट और ट्राइकोग्रामा का उपयोग

वैबिंग माइट के प्रकोप में पत्तों पर सफेद मोती जैसे धब्बे दिखाई देते हैं। इसके लिए 500 मिलीलीटर मिथाइल डेमेटोन (मेटासिस्टोक्स) या 600 मिलीलीटर डाइमेथोएट (रोगोर) 30 ईसी को 250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। चोटी बेधक के लिए ट्राइकोग्रामा परजीवी के 20,000 अंडे प्रति एकड़ छोड़ें। ये अंडे ट्राइको कार्ड पर चिपके होते हैं, जिन्हें 24 टुकड़ों में काटकर खेत में बांट दें। कार्ड हकृवि करनाल, सोनीपत, महम, जींद और शाहाबाद चीनी मिलों से प्राप्त किए जा सकते हैं।