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हरियाणा में जनविरोधी नीतियों के खिलाफ कर्मचारियों का आक्रोश

हरियाणा में सर्व कर्मचारी संघ ने जनविरोधी नीतियों के खिलाफ एक बैठक आयोजित की, जिसमें कर्मचारियों ने महंगाई और बेरोजगारी की बढ़ती समस्याओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने न्यूनतम वेतन बढ़ाने, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने और श्रम कानूनों में बदलावों को वापस लेने की मांग की। आगामी ब्लॉक स्तर के चुनावों की तैयारी भी चर्चा का हिस्सा रही। जानें इस बैठक में और क्या-क्या मुद्दे उठाए गए।
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हरियाणा में जनविरोधी नीतियों के खिलाफ कर्मचारियों का आक्रोश

हरियाणा में कर्मचारियों की बैठक


  • आठवें वेतन आयोग को शीघ्र लागू किया जाए


जींद, हरियाणा: सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा की राज्य कमेटी ने गुरुवार को जींद में एक विस्तारित बैठक का आयोजन किया। इस बैठक की अध्यक्षता जिला प्रधान संजीव ने की, जबकि संचालन जिला सहसचिव अनिल शर्मा ने किया। संजीव ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें जनविरोधी आर्थिक उदारीकरण की नीतियों को तेजी से लागू कर रही हैं।


महंगाई और बेरोजगारी पर चिंता

उन्होंने कहा कि इन नीतियों के कारण महंगाई और बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। इसके बजाय, सरकार जाति और धर्म के नाम पर लोगों का ध्यान भटकाने में लगी हुई है। आगामी 20 जुलाई से 20 सितंबर 2025 तक ब्लॉक स्तर पर चुनाव आयोजित किए जाएंगे।


संजय ने आरोप लगाया कि सरकार अपने चहेते पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने में लगी हुई है।


कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा

कर्मचारी संघ ने मजदूरों और कर्मचारियों के खिलाफ नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने का निर्णय लिया है। उन्होंने मांग की है कि श्रम कानूनों में किए गए बदलावों को वापस लिया जाए, न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये किया जाए, और रिक्त पदों पर स्थायी भर्ती की जाए।


इसके अलावा, पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए और 2006 से पहले की एक्सग्रेशिया नीति को पुनर्स्थापित किया जाए।


वेतन आयोग की विसंगतियों का समाधान

बैठक में उपस्थित सदस्यों ने वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करने और राज्य में अलग से वेतन आयोग के गठन की मांग की। इस अवसर पर संदीप, रविंद्र गोयत, धर्मवीर, देवेंद्र, विजेंद्र शर्मा, विक्रम, संयज आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।