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हरियाणा में पराली जलाने की समस्या का समाधान: नई योजना लागू

हरियाणा सरकार ने पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए एक नई योजना लागू की है। इस योजना के तहत, पराली का उपयोग ईंट-भट्टों में ईंधन के रूप में किया जाएगा, जिससे खेतों में पराली जलाने की आवश्यकता कम होगी। इसके साथ ही, ईंट-भट्टों में कोयले की खपत में कमी आएगी और वायु गुणवत्ता में सुधार होगा। जानें इस योजना के अन्य लाभ और कार्यप्रणाली के बारे में।
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हरियाणा में पराली जलाने की समस्या का समाधान: नई योजना लागू

हरियाणा में पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए नई पहल

हरियाणा में पराली जलाने का समाधान: हरियाणा सरकार ने पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक नई और सख्त योजना की शुरुआत की है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के निर्देशों के अनुसार, कृषि विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मिलकर एक नई रणनीति तैयार की है। इस योजना के तहत, पराली का उपयोग ईंट-भट्टों में ईंधन के रूप में किया जाएगा, जिससे खेतों में पराली जलाने की आवश्यकता कम हो जाएगी।


ईंट-भट्टों में कोयले की खपत में कमी

इस नई व्यवस्था के अनुसार, हर जिले में उत्पन्न होने वाली पराली का सीधा उपयोग ईंट-भट्टों में किया जाएगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे पराली प्रबंधन पर कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आएगा। हरियाणा के लगभग 2480 ईंट-भट्टों पर यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू किया जा रहा है।


सीपीसीबी के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए, सरकार ने इस वर्ष से ईंट-भट्टों में 20% पराली का उपयोग अनिवार्य कर दिया है। इससे वायु में फैलने वाले धुएं और प्रदूषण में काफी कमी आने की उम्मीद है।


सख्त निगरानी: आदेश का पालन न करने पर लाइसेंस रद्द

सीपीसीबी के अधिकारी अब ईंट-भट्टों का नियमित निरीक्षण करेंगे। निरीक्षण में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि:


भट्टा कितनी पराली जला रहा है


ईंधन में पराली का अनुपात क्या है


क्या कोयले की खपत में कमी आ रही है


यदि कोई भट्टा इन आदेशों का पालन नहीं करता है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी और आवश्यकता पड़ने पर लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।


इस योजना के लाभ

पराली जलाने से उत्पन्न धुएं में कमी आएगी


किसानों को पराली प्रबंधन का सरल विकल्प मिलेगा


भट्टा मालिकों के लिए कोयले का खर्च कम होगा


राज्य में वायु गुणवत्ता में सुधार होगा