हरियाणा में फलीदार सब्जियों की खेती से किसानों को मिलेगा लाभ

हरियाणा में फलीदार सब्जियों की खेती
कुंजपुरा (करनाल), हरियाणा। हरियाणा में फलीदार सब्जियों जैसे सेम, लोबिया और ग्वार की खेती न केवल किसानों की आय में वृद्धि करती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाती है। इन फसलों की बुवाई अगस्त से मध्य सितंबर के बीच की जा सकती है। प्रोटीन से भरपूर इन फसलों की बढ़ती मांग के चलते किसान अच्छे मुनाफे की उम्मीद कर सकते हैं। महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय, करनाल के सब्जी सलाहकार डॉ. सुरेश कुमार अरोड़ा ने बताया कि इन फसलों की अच्छी पैदावार और स्वास्थ्य के लिए कुछ विशेष तकनीकों का पालन करना आवश्यक है।
लोबिया की बुवाई और देखभाल
लोबिया की खेती के लिए प्रति एकड़ 8 से 10 किलो बीज पर्याप्त है। कतारों के बीच 30 से 45 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिए। खेत की जुताई के लिए गोबर की खाद का उपयोग करें। प्रति एकड़ 10 किलो नाइट्रोजन और 16 किलो फास्फोरस डालें। लोबिया की पूसा बरसाती किस्म बारिश के मौसम के लिए और पूसा-2 जुलाई-अगस्त या फरवरी-मार्च के लिए उपयुक्त है। इनकी पैदावार 12 से 18 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकती है।
सेम की खेती के लिए सुझाव
सेम की फसल के लिए खेत की 3 से 4 बार गहरी जुताई करें और हर जुताई के बाद पाटा लगाएं। खेत को समतल और भुरभुरा करके 1.5 मीटर चौड़ी और 2.5-3 मीटर लंबी क्यारियां बनाएं। दो क्यारियों के बीच 60 सेंटीमीटर चौड़ी नालियां रखें। प्रति एकड़ 2-3 किलो बीज पर्याप्त है। बुवाई क्यारियों के एक सिरे पर करें। 4 टन गोबर की खाद, 6 किलो नाइट्रोजन और 16 किलो फास्फोरस बुवाई से पहले मिट्टी में मिलाएं। बुवाई के 1-1.5 महीने बाद बांस के डंडों से बेलों को सहारा दें और 6 किलो नाइट्रोजन नालियों में डालकर मिट्टी चढ़ाएं। सेम की फलियां 2.5-3 महीने में तैयार हो जाती हैं, जिनकी पैदावार 60-85 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकती है। हिसार कीर्ति किस्म की बुवाई 15 अगस्त तक की जा सकती है।
ग्वार की खेती और इसके लाभ
ग्वार की पूसा नवबहार किस्म बारिश और गर्मी दोनों मौसम के लिए उपयुक्त है। 15 अगस्त तक 6 किलो बीज प्रति एकड़ डालकर बुवाई करें। यह फसल 60-65 दिन में तैयार हो जाती है। ग्वार की जड़ों में राइजोबियम बैक्टीरिया मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ाते हैं, जिससे भूमि की उर्वरता कई गुना बढ़ जाती है।