हरियाणा में रिश्वतखोरी के मामले में दो सरकारी कर्मचारियों को मिली सजा

हरियाणा में रिश्वतखोरी का मामला: सजा का विवरण
हरियाणा में रिश्वतखोरी का मामला: आबकारी अधिकारी और ड्राइवर को चार साल की सजा - गुरुग्राम की एक अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने दो सरकारी कर्मचारियों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है। इस मामले में, आबकारी एवं कराधान विभाग के पूर्व निरीक्षक अनिल कौशिक को तीन साल की सजा और ₹15,000 का जुर्माना लगाया गया है। वहीं, विभाग के ड्राइवर संदीप मलिक को चार साल की जेल और समान जुर्माने का आदेश दिया गया है।
यह कार्रवाई भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो, गुरुग्राम द्वारा की गई थी, जिसमें आरोपियों पर रिश्वत मांगने और लेने के गंभीर आरोप साबित हुए।
शिकायतकर्ता की कहानी: माहवारी रिश्वत की मांग
शिकायतकर्ता एक निजी कंपनी में सुपरवाइज़र के रूप में कार्यरत थे, जिनका काम घरेलू सामान की शिफ्टिंग से संबंधित था। उन्होंने आरोप लगाया कि सेल्स टैक्स विभाग के अधिकारी हर बार सामान से भरी गाड़ी को परेशान करते थे।
इसी दौरान, ड्राइवर संदीप मलिक ने उनसे संपर्क किया और ₹25,000 महीने की रिश्वत की मांग की। उसने कहा कि वह यह राशि उच्च अधिकारियों तक पहुंचाता है और कुछ हिस्सा खुद रखता है।
राज्य सतर्कता ब्यूरो ने तुरंत कार्रवाई की और संदीप को शिकायतकर्ता से रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। उसके खिलाफ IPC की धारा 7 और PC Act 1988 के तहत मामला दर्ज किया गया।
न्यायिक प्रक्रिया और अंतिम निर्णय
इस मामले की सुनवाई दो साल तक चली, जिसके बाद दिसंबर 2020 में चालान कोर्ट में पेश किया गया। न्यायालय ने सभी सबूतों को ध्यान में रखते हुए दोनों आरोपियों को दोषी पाया।
अब इन दोनों कर्मचारियों को सरकारी सेवा में रहते हुए किए गए भ्रष्टाचार के लिए सजा मिल चुकी है। यह फैसला आम जनता को न्याय की भावना और सरकारी तंत्र में पारदर्शिता का भरोसा देता है।
सरकारी पदों पर बैठे लोग यदि भ्रष्ट आचरण करते हैं, तो सख्त कानून और त्वरित कार्यवाही से उन्हें सजा मिल सकती है—यह संदेश यह फैसला देता है।