हरियाणा में शिक्षकों की ड्यूटी कुत्तों की निगरानी पर विवाद, अनुराग ढांडा ने उठाए सवाल
शिक्षकों की भूमिका पर उठे सवाल
* शिक्षकों को बच्चों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया गया है, न कि जानवरों की देखरेख के लिए: अनुराग ढांडा
* राज्य में 30 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं, फिर भी सरकार कुत्तों की गिनती कराएगी: अनुराग ढांडा
चंडीगढ़: दिल्ली के बाद हरियाणा में भी शिक्षकों की ड्यूटी कुत्तों की निगरानी के लिए लगाने का मुद्दा गरमा गया है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने मंगलवार को बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि कैथल में शिक्षक धरने पर बैठे हैं और स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि उनकी नियुक्ति बच्चों को पढ़ाने के लिए हुई है, न कि जानवरों की देखरेख के लिए। स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालयों तक शिक्षकों पर यह जिम्मेदारी डालना सरकार की शिक्षा विरोधी सोच को दर्शाता है।
अनुराग ढांडा ने कहा कि ऐसे निर्णय यह दर्शाते हैं कि भाजपा को न तो शिक्षा की चिंता है और न ही शिक्षकों के सम्मान की। हरियाणा में पहले से ही शिक्षा व्यवस्था खराब है, लेकिन सरकार उसकी जिम्मेदारी सुधारने के बजाय शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगा रही है। सरकारी आंकड़े खुद सच्चाई बयां करते हैं। हरियाणा में लगभग 14 हजार सरकारी स्कूल हैं, जबकि 30 हजार से अधिक शिक्षक पद खाली हैं। लगभग 85 से 90 प्रतिशत स्कूल बिना स्थायी हेडमास्टर के चल रहे हैं। कई स्कूलों में 400 से 500 बच्चों के लिए केवल एक शिक्षक है। इसके बावजूद, कैथल जिला शिक्षा अधिकारी के 24 दिसंबर 2025 के आदेश में हर स्कूल में आवारा कुत्तों की निगरानी के लिए नोडल अधिकारी बना दिया गया है। इसका मतलब है कि शिक्षक अब कुत्तों की गिनती और रिपोर्टिंग करेंगे।
उन्होंने कहा कि यह मामला केवल स्कूलों तक सीमित नहीं है। रोहतक एमडीयू विश्वविद्यालय में भी 24 दिसंबर 2025 को आदेश जारी कर प्रोफेसरों को परिसर में आवारा कुत्तों की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। यह स्पष्ट है कि भाजपा सरकार ने शिक्षा संस्थानों को पढ़ाई के केंद्र के बजाय प्रशासनिक और निगरानी का अड्डा बना दिया है।
अनुराग ढांडा ने सवाल उठाया कि जब 70 से 75 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में स्थायी चौकीदार नहीं हैं, और कई जगह एक चौकीदार को दो-तीन स्कूलों की जिम्मेदारी दी गई है, तब सरकार शिक्षकों पर यह बोझ क्यों डाल रही है। यदि सरकार को सच में कुत्तों और जानवरों की समस्या की चिंता है, तो हर स्कूल और कॉलेज में पालतू या एनिमल कंट्रोल स्टाफ की सरकारी भर्ती क्यों नहीं की जाती?
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सैनी को यह तय करना होगा कि हरियाणा में शिक्षक पढ़ाएँ या कुत्तों की निगरानी करें। भाजपा सरकार ने शिक्षकों को बीएलओ, चौकीदार और अब कुत्तों का रखवाला बनाकर शिक्षक पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। यह निर्णय केवल शिक्षकों का नहीं, बल्कि हरियाणा के लाखों बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
आम आदमी पार्टी ने स्पष्ट किया है कि इस कार्य के लिए अलग से सरकारी भर्ती निकाली जाए और शिक्षकों का अपमान तुरंत बंद किया जाए। शिक्षा को बोझ और शिक्षकों को मजबूर मजदूर समझने वाली यह सोच हरियाणा की जनता अब और बर्दाश्त नहीं करेगी।
